चरित्र को पकड़िए, चाल तो चलती है
भाव बढ़ते और गिरते हैं। लंबे निवेश के लिए इसका खास मतलब नहीं। मायने-मतलब है तो मूल्य का। भाव के लिए चुकाए गए धन के एवज में हमें मिलता है मूल्य। भाव हमें दिखता है। मूल्य दिखता नहीं, लेकिन हमारे निवेश की सार्थकता का सार है। भाव शरीर है तो मूल्य चरित्र है, आत्मा है। हम ऐसे ही मूल्यवान शेयरों को बराबर यहां पेश करते रहे हैं। मसलन, अतुल लिमिटेड तीन साल में तीन गुना हो गया…औरऔर भी