महत्ता शून्य की
कभी फुरसत में कुछ भी नहीं होने की कल्पना कीजिए। एकदम सन्नाटा, कोई ख्याल नहीं। है न बड़ा मुश्किल! लेकिन यह शून्य बेहद अहम है। यह शून्य ही वो आखिरी अंक है जिसकी खोज हमने की। यह न होता तो आज दुनिया ज्ञान-विज्ञान में शून्य होती।और भीऔर भी
ज्ञान काम का
उन विचारों का क्या काम, जो हमारी अपनी गुत्थियों को न सुलझा सकें। फालतू हैं वे विचार हैं जो हमें पस्त हालत से निकाल न सकें। वो ज्ञान किस काम का जो महज दूसरों को प्रवचन देने के लिए है, लेकिन खुद हमें नया धरातल, संबल न दे सके।और भीऔर भी
भगवान का रिस्क
इंसानों की इस दुनिया में भगवान की तलाश बड़ी रिस्की है। न जाने किस भेष में भगवान नहीं, कोई शैतान या महाठग मिल जाए! फिर, जब सब कुछ अपने ज्ञान, कर्म और नेटवर्किंग से मिलना है तो ऐसा संगीन रिस्क उठाने में फायदा ही क्या। और भीऔर भी
बुद्धिमान की बुद्धिमानी
आप बुद्धिमान हैं, अच्छी बात है। लेकिन क्या आप बुद्धिमानी से दुनिया को देख रहे हैं? शायद नहीं, क्योंकि इसके लिए काफी अध्ययन, मनन और ज्ञान की जरूरत है। इसलिए बुद्धिमान होने से ज्यादा महत्वपूर्ण है जीवन को बुद्धिमानी से देखना व जीना।और भीऔर भी
कद्र अच्छे लोगों की
धन से टेक्नोलॉजी खरीदी जा सकती है, ज्ञान भी खरीदा जा सकता है। लेकिन अच्छे लोग नहीं। अच्छे लोग किसी भी संगठन के लिए धरोधर होते हैं, जबकि बुरे लोग बोझ। अगर कहीं अच्छे लोगों की कद्र नहीं है तो समझ लीजिए कि वह संगठन लंबा नहीं चलेगा।और भीऔर भी