भारतीय शेयर बाज़ार के रोज़ के औसत टर्नओवर में 2001 से 2013 तक के 12 सालों में आम भारतीय निवेशकों की भागीदारी 89.46% से घटकर 34.31% पर आ चुकी है, जबकि विदेशी निवेशकों का हिस्सा 7.95% से 47.25% पर पहुंच गया। इसी दौरान घरेलू संस्थाओं की भागीदारी 2.59% से 18.44% हो गई। विदेशियों के धन पर यूं बढ़ती निर्भरता देश की सेहत के लिए कतई अच्छी नहीं। आप सोचें इस मुद्दे पर। चलें अब शुक्र की ओर…औरऔर भी

क्या आपको अंदाज़ा है कि शेयर बाज़ार में हर दिन कितना धन इधर से उधर होता है। 1.30 लाख करोड़ रुपए से लेकर 1.40 लाख करोड़ रुपए। ध्यान दें यहां लाख या करोड़ की नहीं, लाख करोड़ की बात हो रही है, जिसे अंग्रेज़ी में ट्रिलियन कहते हैं। यह अमीरों का धन है, एफआईआई, डीआईआई का धन है। क्या इसमें से कोई पढ़ा-लिखा समझदार बेरोज़गार दिन के एक-दो हज़ार भी नहीं कमा सकता? आप कहेंगे कि आजऔरऔर भी