नौकरी तो लांग-टर्म, नहीं तो ट्रेडिंग

क्या आपको अंदाज़ा है कि शेयर बाज़ार में हर दिन कितना धन इधर से उधर होता है। 1.30 लाख करोड़ रुपए से लेकर 1.40 लाख करोड़ रुपए। ध्यान दें यहां लाख या करोड़ की नहीं, लाख करोड़ की बात हो रही है, जिसे अंग्रेज़ी में ट्रिलियन कहते हैं। यह अमीरों का धन है, एफआईआई, डीआईआई का धन है। क्या इसमें से कोई पढ़ा-लिखा समझदार बेरोज़गार दिन के एक-दो हज़ार भी नहीं कमा सकता?

आप कहेंगे कि आज भी लाखों लोग इसी चक्कर में घर की पूंजी भी गंवा रहे हैं। लेकिन सच यह भी है तो लाखों लोग इसी बाज़ार से दिन के पांच-दस हज़ार बना भी रहे हैं। फर्क है समझदारी का। भावनाओं से ऊपर उठकर ट्रेडिंग के कौशल को समझने की। शेयर बाज़ार में हर दिन इंसानी ख्वाहिशों का, भावनाओं का युद्ध चलता है। अमीरों को फुरसत है। एफआईआई और डीआईआई का तो धंधा ही यही है। भूले-भटके हम-आप जैसे रिटेल निवेशक भी कुछ धन लगा देते हैं।

लेकिन भावनाओं से कोई ऊपर नहीं। जब तक जान है, तब तक बुद्धि और ज्ञान के साथ भावना भी रहेगी। इससे कोई नहीं बच सकता। चाहे वो एफआईआई या डीआईआई का फंड मैनेजर हो या किसी बैंक के ट्रेजरी विभाग का शीर्ष अधिकारी। जिक्र आया है तो बता दें कि बैंक के ट्रेजरी विभाग में बैठनेवालों की तनख्वाह औरों से तीन-चार गुनी होती है। क्यों? इसलिए कि इस विभाग में बैंकों के स्टाफ का एक फीसदी हिस्सा ही बैठता है। लेकिन अमूमन बैंक के मुनाफे का तकरीबन 40 फीसदी हिस्सा वो पैदा करते हैं।

ये सारे दिग्गज और फाइनेंस में एमबीए कर चुके लोग भी आखिरकार इंसान हैं। अहंकार, मोह, लालच, डर से कोई भी ऊपर नहीं। फिर एफआईआई और डीआईआई चूंकि अपने नहीं, दूसरे के धन को संभालते हैं, इसलिए दूसरों की भावनाओं के अनुरूप उन्हें खरीदना-बेचना होता है। वे भी गिरते बाज़ार में बेचते और उठते बाज़ार में खरीदते हैं, जबकि ज्ञान इसका उल्टा कहता है। हुनर सबके पास करीब-करीब बराबर है। टेक्निकल एनालिसिस के वही चार्ट और इंडीकेटर हैं। वहीं समाचारों का इनफ्लो है। फर्क जरूर रहता है, लेकिन उन्नीस-बीस का।

आप कहेंगे कि एक बेरोज़गार नौजवान, जिसे ठीक से अंग्रेज़ी भी नहीं आती, वो इन महारथियों से कैसे टक्कर ले सकता है। तो मेरा जवाब है कि महाभारत के युद्ध में सारे दिग्गज और महारथी कौरवों की सेना में थे। लेकिन जीत शिखंडी जैसे कमज़ोरों को साथ लेकर लड़ रहे पांडवों की हुई। कौरवों के महारथी कौशल में अधूरे अभिमन्यु को तो घेरकर मार सकते हैं। लेकिन अर्जुन को नहीं। कारण, युद्ध की शुरूआत के वक्त जब भावनाओं के वशीभूत अर्जुन ने गांडीव नीचे रख दिया था, तब कृष्ण ने उन्हें स्थितिप्रज्ञ होने का दर्शन दिया। सारी गीता इंसान को भावनाओं से मुक्त होकर, अहंकार से ऊपर उठकर कर्म करने का निर्देश देती है।

आप कहेंगे कि शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग जैसी घटिया चीज़ की तुलना महाभारत से कैसे की जा सकती है? लेकिन बंधुवर! याद रखें कि जहां-जहां द्वंद्व है, वहां-वहां महाभारत है। सड़क पर हो रही मारपीट में या बॉक्सिंग के रिंग में जो गुस्से जैसी भावनाओं से ऊपर उठकर लड़ता है, वो बलवान पर भी भारी पड़ता है। चार्ली चैप्लिन की कुछ फिल्मों में इस तरह के दृश्य आपने देखे ही होंगे। सार की बात यह है कि अर्जुन जैसा महान धनुर्धारी भी स्थितिप्रज्ञ बने बिना युद्ध नहीं जीत सकता था।

ट्रेडिंग के कौशल हम आपको सिखाएंगे। जैसे, दो बड़े सामान्य संकेतक हैं। छह दिन का ईएमए (एक्स्पोनेंशियल मूविंग एवरेज) और 30 दिन का मूविंग एवरेज। इनको घंटे, दिन, हफ्ते और तिमाही भावों के हिसाब से फ्लो करके देखिए। ये दोनों रेखाएं शेयरों के भावों के साथ मिलकर बहुत हद तक बता देती हैं कि आगे खरीदने-बेचनेवालों की मानसिकता किधर मुड़नेवाली है। फिर भाव के अलावा वोल्यूम पर ध्यान रखना ज़रूरी है। यह सारी चीजें हम आपको धीरे-धीरे करके बताएंगे, सिखाएंगे। लेकिन इन पर अमल का तरीका नितांत आपका अपना तरीका होगा। जिस तरह हर किसी की उंगलियों के निशान अलग होते हैं, वैसे ही हर कामयाब ट्रेडर का तरीका और अंदाज़ अलग होता है। यह तरीका विकसित किए बिना सब कुछ जानते हुए भी आप या मैं कुछ नहीं कर पाएंगे।

आखिरी बात। अगर आप नौकरी कर रहे हैं, इतने मुकद्दर वाले वाले हैं कि रोजी-रोज़गार की कोई चिंता नहीं है तो आपको ट्रेडिंग में कूदने की न तो कोई ज़रूरत है और न ही पूरा ध्यान व समय देकर आप इसके साथ न्याय कर पाएंगे। आपके लिए बेहतर यही होगा कि आप लांग टर्म निवेश करें। शेयर में नहीं, बिजनेस में निवेश करने की दृष्टि पैदा करें। इसमें मदद के लिए हम हर रविवार को एक ऐसी कंपनी बताते हैं जिसका बिजनेस बढ़ने के साथ आपकी बचत भी अच्छी-खासी बढ़ सकती है।

अभी यह सेवा ट्रेडिंग के साथ नत्थी है। लेकिन इसे हम जल्दी ही अलग कर रहे हैं। इस सेवा का मूल्य होगा केवल 200 रुपए महीना और साल भर का 2000 रुपया। आपको यह मूल्य बहुत कम लग रहा होगा। लेकिन हमारा मानना है कि रोज़ी-रोजगार में लगा आम इंसान साल भर में औसतन 20,000 रुपए लगाएगा। उसका दस फीसदी वो हमें फीस के रूप में दे रहा है। हम उसे कम से कम 20 फीसदी रिटर्न दिला देते हैं, तब भी उसकी असल कमाई तो 10 फीसदी ही हुई। इसलिए अपनी मेहनत और आपका फायदा, दोनों के मद्देनज़र हमने लांग टर्म सेवा की यह फीस निकाली है। कुछ टेक्निकल उलझनों को सुलझाते ही यह सेवा आपके सामने होगी। तब तक इंतज़ार कीजिए और ट्रेडिंग में दिलचस्पी रखनेवालों को हमारी सेवा में ज़रूर बताएं।

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