28 फरवरी 2013 तक देश में कुल डीमैट खातों की संख्या 2,09,19,851 हो गई है। इनमें से 1,26,32,085 खाते एनएसडीएल के पास हैं और 82,87,766 खाते सीडीएसएल के पास। माना जाता है कि 2.09 करोड़ डीमैट खातों में से अधिकतम नौ लाख खाते एचएनआई, एफआईआई, डीआईआई व ब्रोकरों जैसे बड़े निवेशकों के हो सकते हैं। बाकी दो करोड़ खाते रिटेल निवेशकों के हैं। 1992 में हर्षद मेहता कांड के फूटने से पहले देश में रिटेल निवेशकों कीऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने 27 अगस्त 2007 से ही डीमैट खातों के लिए पैन (परमानेंट एकाउंट नंबर) को अनिवार्य कर दिया था। लेकिन अब भी बहुत सारे निवेशक हैं जिन्होंने अपने डीमैट खातों के डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (डीपी) के पास पैन नंबर की पुष्टि नहीं कराई है। इसके लिए उन्हें पैन कार्ड की फोटोकॉपी वगैरह देनी थी। अभी तक पैन वेरिफिकेशन न करानेवाले निवेशक अपने खाते से कुछ डेबिट नहीं सकते थे। लेकिन सेबी ने अबऔरऔर भी

देश में शेयर ट्रेडिंग के लिए जरूरी डीमैट खातों की संख्या अभी भले ही 1.69 करोड़ तक सीमित हो, लेकिन इनका दायरा देश के 80 फीसदी पिनकोड पतों तक फैल चुका है। यह दावा है देश की प्रमुख डिपॉजिटरी संस्था एनएसडीएल (नेशनल सिक्यूरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड) का। एनएसडीएल में डीमैट खातों की संख्या अभी 1.02 करोड़ है, जबकि दूसरी डिपॉजिटरी संस्था सीडीएसएल (सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज इंडिया लिमिटेड) में इस समय कुल 67.06 लाख डीमैट खाते हैं। इनमें बंदऔरऔर भी