स्टार्ट-अप कितने बने और कितने ध्वस्त!
छल-छद्म, झूठ, तिकड़म और विज्ञापन से राजनीति में झांसा दिया जा सकता है। लेकिन अर्थनीति में नहीं। इसमें बड़े-बड़े विज्ञापन देकर और झूठ बोलकर भी सच को छिपाया नही जा सकता। कुछ दिन पहले अखबारों में मोदी के साथ नौजवान लड़कों व लड़कियों का फोटो लगाकर पूरे पेज़ के विज्ञापन में दावा किया गया कि नौ साल में 1.59 लाख से ज्यादा स्टार्ट-अप बने हैं। इन्हें करीब ₹13 लाख करोड़ की फंडिंग मिली और इनमें सीधे-सीधे 17.2औरऔर भी