शेयरों में ट्रेडिंग और निवेश में सफलता इससे नहीं मिलती कि कितनी तेज़ सूचनाएं आप तक पहुंचती हैं या आपने कितनी पोथियां बांच रखी हैं। यहां सफलता इस बात से तय होती है कि वाजिब सूचनाएं और शिक्षा आप तक पहुंची है या नहीं। मेरे एक मित्र हैं। कुछ दिनों पहले तक फेसबुक पर निवेश व ट्रेडिंग की सलाहें खटाखट मुफ्त में दिया करते थे। लेकिन फालतू-निरर्थक निकला तो एकाउंट बंद कर दिया। अब शुक्रवार की ट्रेडिंग…औरऔर भी

इस महीने छुट्टियां बहुत हैं। कल से लेकर 6 अक्टूबर सोम तक बाज़ार बंद। फिर 23-24 गुरु-शुक्र को लक्ष्मी पूजन व दिवाली बलि प्रतिपदा। याद करें, छह साल पहले 24 अक्टूबर 2008 को पूरे बाज़ार का दीवाला निकल गया था। उस दिन वैश्विक वित्तीय संकट का झटका बड़ी ज़ोर से लगा और निफ्टी 13% टूटा था। क्या वैसा संकट फिर नहीं आ सकता? ऐसे संकट तक में कमाते हैं ऑप्शन ट्रेडर। अब इस सप्ताह का आखिरी ट्रेड…औरऔर भी

अंदाज़ से ट्रेडिंग करने से बेहतर है कि किसी कैसिनो में जाकर अपनी किस्मत आजमाएं। जब तक साफ-साफ न पता हो कि बाज़ार में कौन-कौन सी शक्तियां सक्रिय हैं, उनका संतुलन कैसा है, जिस स्टॉक में हाथ लगाने जा रहे हैं उसकी प्रकृति क्या है, समग्र आर्थिक परिवेश व रुझान क्या है, तब तक आपको ट्रेडिंग में हाथ नहीं लगाना चाहिए। हम तो महज एक इनपुट है, मदद हैं। पूंजी आपकी, कमाना आपको। अब बुधवार का अभ्यास…औरऔर भी

निवेश ही नहीं, ट्रेडिंग में भी हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि न्यूनतम रिस्क में अधिकतम फायदा कैसे कमाया जाए। तभी तो हमने इंट्रा-डे को दरकिनार कर स्विंग ट्रेड के ऊपर से शुरुआत की। किसी दिन हम कैश सेगमेंट में बाज़ार की चालढाल को ठीक से समझने लगेंगे तो डेरिवेटिव्स में भी हाथ लगा सकते हैं। पर अभी उसमें घुसना बच्चे को स्पोर्ट्स कार की ड्राइविंग सीट पर बैठा देने जैसा होगा। अब तराशते हैं बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

हल्ला है कि मोदी के राज में सरकारी कंपनियां बेहतर काम करेंगी। यही वजह है कि पिछले तीन महीनों में बीएसई सेंसेक्स जहां 12.7% बढ़ा है, वहीं बीएसई पीएसयू सूचकांक 39.7% बढ़ गया। पर क्या सरकारी दखल के हट जाने में वाकई वो चमत्कार है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां चमकने लगेंगी? सोचिए, क्या सरकारी बैंकों के गले में फंसे 1.64 लाख करोड़ रुपए के डूबत ऋण की समस्या यूं ही सुलझ जाएगी? अब वार मंगल का…औरऔर भी

आप चाहें तो सर्वे करके देख सकते हैं कि जो लोग ट्रेडिंग में टिप्स के पीछे भागते हैं, वे मरीचिका के चक्कर में भागते हिरण की तरह ताज़िंदगी प्यासे रह जाते हैं। लंबे निवेश में यकीनन रिसर्च आधारित सलाह काम करती है। लेकिन ट्रेडिंग में घुसने, निकलने, घाटा खाने और पूंजी बचाने व बढ़ाने का सिस्टम बनाकर अनुशासन का पालन न किया, लालच व डर को हावी होने दिया तो कमाई मुमकिन नहीं। अब बुधवार की ट्रेडिंग…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में निवेश और ट्रेडिंग में ज़मीन-आसमान का फर्क है। धैर्य व शांत चित्त दोनों में ज़रूरी है। लेकिन दोनों का टाइमफ्रेम भिन्न है। लंबे समय में कोई भी शांत और धैर्यवान हो सकता है। पर घंटे-दो घंटे या हफ्ते-दस दिन में भावनाओं के दबाव में आए बगैर ट्रेडिंग में ज्यादा कमाई और कम नुकसान के अवसर पकड़ना आसान नहीं। हंस मछली पकड़ लेता है, पर कौआ कांव-कांव करता रह जाता है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

छोटे-मोटे शेयरों की बात अलग है। लेकिन पूरे बाज़ार की चाल इस वक्त डॉलर की चाल से जुड़ चुकी है। इस अमेरिकी मुद्रा ने भारत ही, दुनिया भर के बाज़ारों में खरमंडल मचा रखा है। पिछले साल मई से उसका तूफान कुछ ज्यादा ही बढ़ गया। टैपरिंग भयंकर चक्रवात की तरह हर वक्त बाज़ारों के सिर पर मंडराता रहता है। बांड खरीद के घटने-बढ़ने से बाज़ार की सांस उठती-गिरती है। ऐसे में परखते हैं बाज़ार की चाल…औरऔर भी

ट्रेडिंग में नौसिखिया लोगों को हाथ नहीं डालना चाहिए। यह उन लोगों के लिए है जो बाज़ार की चाल-ढाल और टेक्निकल एनालिसिस को अच्छी तरह समझते हैं। उनके दिमाग में साफ होना चाहिए कि बाज़ार में कौन-कौन सी शक्तियां हैं जिनकी हरकत भावों को उठा-गिरा सकती है। बाज़ार में संतुलन का पूरा नक्शा उनके दिमाग में साफ होना चाहिए। चार्ट में लोगों की भावनाओं को पढ़ सकने की कला उन्हें आनी चाहिए। अब देखें गुरु की चाल…औरऔर भी

बड़ी सलाहकार फर्म है। इंट्रा-डे सलाह के 5000 रुपए महीना लेती है। डेरिवेटिव्स व फॉरेक्स में भी मार करती है। आजमाने के लिए कल मैंने उनकी सलाह ली। इंट्रा-डे में उन्होंने वोल्टास, टाटा मोटर्स व यूनियन बैंक को चुना। स्टॉप-लॉस की नौबत नहीं आई, पर तीनों लक्ष्य से रहे दूर। फिर भी आखिरी एसएमएस में उन्होंने ठोंका कि इन तीन कॉल्स में दिन की कमाई 4153 रुपए। कैसे और कितनी पूंजी पर? सोचते हुए बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी