की-बोर्ड से नज़र उठाकर ज़रा सोचिए कि आप शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग इसलिए करना चाहते हैं ताकि नोट कमा सकें। लेकिन इसके लिए ट्रेड करने का हुनर सीखना पड़ेगा। तो, नोट कमाना पहले या सीखना पहले? हमारा ही नहीं, सारे अनुभवी लोगों को मानना है कि जल्दी-जल्दी नोट बनाने के चक्कर में पड़े तो मुंह की खाएंगे। ट्रेडिंग की बारीकियां समझ लें, नोट अपने-आप आने लगेंगे। छोटे ट्रेड से बड़ी सीख। परखें कुछ ऐसे ही छोटे ट्रेड…औरऔर भी

ट्रेडिंग में कामयाब होने के लिए एक तरफ जहां आपको अपने ऊपर भरोसा ज़रूरी है, वहीं दूसरी तरफ सावधानी भी चाहिए। केवल एक का होना खतरनाक है। अगर आप निधड़क हैं, लेकिन सतर्क नहीं तो बहुत मुमकिन है कि आप मग़रूर और फेंकू हो जाएंगे। यह किसी भी ट्रेडर के लिए आत्मघाती है। वहीं अगर आप चौकन्ने हैं, लेकिन अपने पर भरोसा नहीं तो सही मौके भी हाथ से फिसल जाएंगे। अब रूख आज के बाज़ार का…औरऔर भी

अनुशासन के लिए ट्रेडर को चार रिकॉर्ड रखने चाहिए। इनमें से तीन का वास्ता पुराने सौदों के लेखा-जोखा से है, जबकि एक आगे की प्लानिंग का है। स्प्रेडसीट पर तारीख सहित हर सौदे का ब्यौरा; ट्रेडिंग पूंजी की घट-बढ़; ट्रेडिंग डायरी में हर सौदे की वजह से लेकर मनोभाव तक। चौथा रिकॉर्ड, अगले दिन का ट्रेडिंग प्लान। ये चार रिकॉर्ड आपको जिम्मेदार, प्रोफेशनल व कामयाब ट्रेडर बनने में मदद करेंगे। खुद को साधते हुए बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

वही सॉफ्टवेयर, टेक्निकल एनालिसिस के वही इंडीकेटर, वही मुठ्ठी भर शेयर। फिर भी शेयर बाज़ार के 95% ट्रेडर घाटा खाते हैं। क्यों? आखिर, कामयाब ट्रेडर के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ क्या है? तेज दिमाग! उच्च शिक्षा!! सच यह है कि हाईस्कूल तक पढ़े लोग भी ट्रेडिंग से लाखों कमाते हैं। सफलता के लिए सबसे अहम तत्व है दृढ़ अनुशासन। सफल ट्रेडर अपने हर सौदे का रिकॉर्ड रखता है और बराबर उससे सीखता है। अब आज का सौदा…औरऔर भी

गलतियां मंजे हुए ट्रेडर भी करते हैं। इसके बावजूद मुनाफा कमाते हैं क्योंकि वे अपने घाटे की सीमा या स्टॉप-लॉस बांध कर चलते हैं। स्टॉप-लॉस के दो आधार हैं, धन गंवाने की आपकी क्षमता और टेक्निकल एनालिसिस। सबसे पहले यह देखें कि किसी सौदे में आप कितना गंवा सकते हैं। सौदे को लेकर आश्वस्त नहीं हैं तो न्यूनतम रिस्क लें। फिर टेक्निकल एनालिसिस से निकलने का सटीक भाव तय कर लें। अब करते हैं रुख बाज़ार का…औरऔर भी

पहले तय करें कि निकलना कहां है, फिर बाज़ार को देखें। जैसे ही निकलने का सबसे अच्छा भाव मिले, फौरन पोजिशन काट दें। यह है शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग करते वक्त प्रोफेशनल ट्रेडरों की आम रणनीति। यह कठिन-कठोर अनुभव और लौह अनुशासन की सीख है। वहीं नए ट्रेडर बाज़ार को वैसे देखते हैं जैसे कोई चूहा सामने आए सांप को देखता है। उसके हाथ-पैर फूल जाते हैं और वो सांप का निवाला बन जाता है। अब आगे…औरऔर भी

शेयर बाज़ार ही नहीं, किसी भी बाज़ार में भाव तभी बदलते हैं जब डिमांड और सप्लाई का संतुलन टूटता है। इस तरह बनते असंतुलन को प्रोफेशनल ट्रेडर पहले ही भांप लेते हैं। वे चार्ट पर देख लेते हैं कि कहां एफआईआई, बीमा कंपनियां, म्यूचुअल फंड और बैंक जैसे बड़े संस्थागत निवेशक खरीद-बेच रहे हैं। प्रोफेशनल ट्रेडर यह भी जानते हैं कि सामने भावनाओं व अहंकार में डूबा एक शेखचिल्ली ट्रेडर बैठा है। हमें प्रोफेशनल ट्रेडर बनना है…औरऔर भी

रुपया डॉलर के मुकाबले इस साल 9.27% गिर चुका है। सोमवार को 61.21 की ऐतिहासिक तलहटी छूने के बाद 60.62 पर बंद हुआ। हर तरफ हाहाकार है कि रसातल में जाता रुपया अब संभाला नहीं जा सकता और वो अपने साथ अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार को भी डुबा देगा। पर सच यह है कि उसकी कमज़ोरी ही एक दिन मजबूती का सबब बनेगी। आयात घटेंगे, निर्यात बढ़ेंगे, रुपया सबल होगा। इस चक्र को समझते, बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

मैं गलत कैसे हो सकता हूं? एक-न-एक दिन साबित हो जाएगा कि मैंने जो फैसला लिया, वो कितना सही था। कुछ ऐसा ही सोचकर हम पुराने फैसलों से चिपके रहते हैं और अपने सही होने का इंतज़ार करते हैं। वक्त सरकता जाता है, पर हमें सही साबित करने का वक्त कभी नहीं आता। जीवन में यह सोच भले चल जाए, लेकिन शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से चिपक जाए तो बरबाद कर डालती है। अब आज का अध्याय…औरऔर भी

शेयर बाज़ार 99% मौकों पर 99% लोगों को चरका पढ़ाता है। इसलिए बाकी 1% लोगों में शामिल होना और 1% सीमित मौकों को पकड़ना बेहद कठिन है। जीवन में आशावाद आगे बढ़ने का संबल बनता है, वहीं शेयर बाज़ार में निराशावाद कामयाबी की बुनियाद बनता है। हर सौदे के पहले सोचना चाहिए कि इसमें कितना घाटा संभव है, जबकि हम यही सोचते हैं कि इससे कितना फायदा कमा सकते हैं। अब करें सोच को पलटने का अभ्यास…औरऔर भी