पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने 34 सालों से चले आ रहे लेफ्ट के किले को ढहा दिया। जयललिता ने एम करुणानिधि को सत्ता से बाहर कर दिया। ममता ने 294 में से 226 सीटें जीत लीं तो जयललिता ने 234 सदस्यों की विधानसभा में 204 सीटों पर कब्जा कर लिया। एक जगह तीन-चौथाई से ज्यादा तो एक जगह से चार बटे पांच से भी ज्यादा का बहुमत। विश्लेषक बता रहे हैं कि पश्चिम बंगाल में लेफ्टऔरऔर भी

अचानक उल्लास और उत्साह के बीच आर्थिक मोर्चे से दो बुरी खबरें मिली हैं। जून महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की वृद्धि दर 13 महीनों के न्यूनतम स्तर 7.1 फीसदी पर पहुंच गई है। यह पिछले साल जून में आर्थिक सुस्ती के बावजूद 8.3 फीसदी थी। दूसरे, कुछ हफ्तों से इकाई में आ गई खाद्य मुद्रास्फीति की दर 31 जुलाई को खत्म सप्ताह में बढ़कर 11.4 फीसदी हो गई है। हालांकि इन दोनों ही नकारात्मक खबरोंऔरऔर भी

सरकार रिजर्व बैंक के साथ इस मसले पर बातचीत कर रही है कि होम लोम को कैसे प्राकृतिक आपदाओं से होनेवाले नुकसान से बचाने के बीमा के साथ जोड़ा जा सकता है। बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) के चेयरमैन जे हरिनाराणन ने बुधवार को दिल्ली में फिक्की द्वारा आयोजित सेमिनार में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि, “हम अब भी प्राकृतिक आपदाओं से व्यक्ति को बीमा देने का तरीका तलाशने में लगे हैं, लेकिन ऐसा कोई इकलौताऔरऔर भी

देश में अनाजों के भंडारण की सबसे बड़ी सरकारी संस्था भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने तय किया है कि वह कमोडिटी स्पॉट एक्सचेंजों के माध्यम से खुले बाजार में गेहूं बेचेगा। वह अपनी खुला बाजार स्कीम (ओएमएस) के तहत ऐसा करेगा। उसने इसकी शुरुआत 16 मार्च 2010 से नेशनल स्पॉट एक्सचेंज के जरिए कर दी है। यह अभी प्रायोजिक स्तर पर किया जा रहा है और देश में कुछ ही जगहों पर ऐसा किया जा रहा है।औरऔर भी

रेल मंत्री ममता बनर्जी ने अपने बजट भाषण में ज़ोर देकर कहा कि हम रेलों का निजीकरण नहीं करने जा रहे हैं और यह एक सरकारी संगठन बना रहेगा। लेकिन पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) पर बनी रेलवे की समिति के अध्यक्ष अमित मित्रा के नेतृत्ववाले उद्योग संगठन फिक्की का कहना है, “रेल बजट का मुख्य ज़ोर रेलों को निजी क्षेत्र के लिए खोलने पर है ताकि विकास को तेज किया जा सके और अर्थव्यवस्था के 9-10 फीसदीऔरऔर भी