कृषि कारोबार, सामाजिक क्षेत्र और ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों में हर स्तर के कर्मचारियों के वेतन में 25 से 40 फीसदी तक वृद्धि की जा रही है। इसकी खास वजह है कि इन क्षेत्रों में विकास तेजी से हो रहा है और कंपनियां इससे कर्मचारियों के साथ बांटना चाहती हैं। एग्जीक्यूटिव सर्च फर्म, ग्लोबलहंट के निदेशक सुनील गोयल ने कहा कि कृषि कारोबार, सामाजिक क्षेत्र और ऊर्जा तेजी से बढ़ते क्षेत्र हैं। प्रत्येक क्षेत्र में पिछले सालऔरऔर भी

अगर किसी को भारतीय अर्थव्यवस्था की सही दशा-दिशा पर शक हो तो उसे अब प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने दूर कर दिया है। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन की अध्यक्षता वाली इस परिषद ने ‘इकनोमिक आउटलुक 2010-11’ नाम से जारी लगभग नब्बे पेज की रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था के एक-एक पहलू का विवेचन किया है। उसका खास आकलन है कि इस वित्त वर्ष 2010-11 में कृषि की विकास दर 4.5 फीसदी रहेगी, जबकि बीते वित्तऔरऔर भी

बाल अधिकारों से जुड़ी लगभग सभी संधियों पर दस्तखत करने के बावजूद भारत बाल मजदूरों का सबसे बड़ा घर क्यों बन चुका है? इसी से जुड़ा यह सवाल भी सोचने लायक है कि बाल श्रम निषेध एवं नियंत्रण कानून, 1986 के बावजूद हर बार जनगणना में बाल मजदूरों की तादाद पहले से कहीं बहुत ज्यादा क्यों निकल आया करती है? वैसे, हकीकत इससे भी कहीं ज्यादा भयानक है। दरअसल बाल मजदूरी में फंसे केवल 15% बच्चे हीऔरऔर भी

देश के कई हिस्सों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के करीब तक पहुंच जाने की अकुलाहट के बीच सुकून की खबर यह है कि मानसून अनुमान से दो दिन पहले ही दस्तक देने वाला है। मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून के बादल 30 मई को केरल में प्रवेश कर जाएंगे। पुणे स्थित राष्ट्रीय जलवायु केंद्र के निदेशक डी शिवानंज पई का कहना है कि यूं तो केरल में बारिश शुरू हो चुकी है। लेकिन मानसून सेऔरऔर भी

शिरीष खरे विश्व बैंक की शर्तों के तहत गरीबी हटाने के नाम पर किए गए ढांचागत समायोजन कार्यक्रमों के परिणाम अब सर्वत्र दिखाई देने लगे हैं। भारत विश्व बैंक के चार सबसे बड़े कर्जदारों में शामिल है। नव-उपनिवेशवादी नीतियों के कारण देश की 65 फीसदी आबादी का भरण-पोषण करने वाला कृषि क्षेत्र आज दयनीय हालत में है। हरित क्रांति की आत्ममुग्धता के बावजूद खाद्यान्न आत्मनिर्भरता लगातार कम हो रही है। विदेशी मुद्रा भण्डार का बड़ी मात्रा मेंऔरऔर भी