हम हिंदुस्तानी कुछ ज्यादा ही उत्सवधर्मी हैं। खुशियां मनाने के खूब त्योहार बना रखे हैं। यहां तक खरीदने के भी अलग त्योहार हैं। धनतेरस, गुड़ी पड़वा, अक्षय तृतीया और न जाने क्या-क्या। दिवाली के त्योहार पर तो लक्ष्मी पूजन के बाद स्टॉक व कमोडिटी एक्सचेंज बाकायदा मुहूर्त ट्रेडिंग करते रहे हैं। आज बीएसई व एनएसई में मुहूर्त ट्रेडिंग शाम 5.30 से 6.30 बजे तक होगी। प्री-ओपन सत्र 15 मिनट पहले शुरू हो जाएगा। आज हुए सारे सौदेऔरऔर भी

बरसात में कुकुरमुत्ते बहुत उगते हैं। पर बादलों की गरज और धरती की नमी के बीच प्राकृतिक मशरूम भी अच्छे निकलते हैं। बस, हमें कुकुरमुत्ते और प्राकृतिक मशरूम का फर्क समझ में आना चाहिए। इसी तरह शेयर बाज़ार में तेज़ी आती है तो आईपीओ भी जमकर आते हैं। अगले 10-12 महीनों में 14 कंपनियां पूंजी बाज़ार से करीब दस हज़ार करोड़ रुपए जुटाने वाली हैं। अब की बार तथास्तु में कुकुरमुत्तों के बीच का एक अच्छा मशरूम…औरऔर भी

लालच के भाव से शेयर बाज़ार में कतई पैसा न लगाएं। नहीं तो घात लगाए शिकारी कभी भी आपका शिकार कर सकते हैं। निवेश का मूल मकसद है कि हम अपनी बचत को महंगाई/मुद्रास्फीति की मार से बचाएं और लंबे समय में दौलत बना सकें। इसलिए मोटामोटी नियम यह है कि जब शेयर बाज़ार सस्ता हो तो ज्यादा निवेश उसमें करें। चढ़ा हुआ हो तो ज्यादा धन एफडी-बांड वगैरह में लगाएं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

लोकतंत्र और बाज़ार में सारा खेल नंबरों का है। बड़ी-बड़ी बातें और भावुक फेंकमबाज़ी फालतू है। कांग्रेस भ्रष्ट। बीजेपी भी खिलाड़ी। दोनों को कर्णाटक में लोगों से वोट दिए। लेकिन 37% पाकर कांग्रेस जीत गई, जबकि बीजेपी व उससे छिटके दोनों दल कुल सूत भर कम वोट पाकर हार गए। बाज़ार में भी सूत भर का अंतर चलता है। डिमांड ज्यादा कि सप्लाई? हां, यहां भाव और मूल्य का अंतर भी अहम है। अभी आज का बाज़ार…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में लालच के भाव से उतरना गलत ही नहीं, घातक है। निवेश का मकसद अपनी बचत को समय की मार से बचाना है। जो समय पर सवारी कर रहे हैं, बचत को उन्हीं की पीठ पर रखकर हम निश्चिंत हो जाते हैं। वहीं, ट्रेडिंग शुद्ध रूप से नए ज़माने का बिजनेस है। इसमें बहुत कुछ नया है। तकनीक है, तरीके हैं। इन्हें सीखना-समझना है। वरना है तो मूलतः व्यापार। अभी की हालत बड़ी चित्र-विचित्र है…औरऔर भी

निवेश और ट्रेडिंग में कामयाबी के तरीके अलग-अलग हैं। लेकिन भाव समान है। निवेश के बारे में कहते हैं कि जब लोग उछल-कूद रहे हों, तब आप शांत रहते हुए उल्टा सोचें। ट्रेडिंग के बारे में मानते हैं कि दिग्गज जिधर भाग रहे हों, उसी दिशा को शांत मन से सबसे पहले पकड़ लें। दोनों में शांत मन समान है। यह बनता है गहनतम समझदारी और ज्ञान से, छिछलेपन से नहीं। उतरते हैं आज के बाज़ार में…औरऔर भी

फेसबुक के आईपीओ को साल भर हो गए। 38 डॉलर का शेयर 28.31 डॉलर पर है। उस आईपीओ पर यह दाग भी लगा था कि उससे जुड़ी फर्मों मॉरगन स्टैनले, गोल्डमैन सैक्श व जेपी मॉरगन ने बड़े ग्राहकों को अंदर की अहम जानकारियां बांटी थीं जिससे छोटे निवेशकों को तगड़ी चोट लगी। अपने यहां कंपनी की कृपा पर जीते एनालिस्टों और मर्चेंट बैंकरों का खेल तो इससे भी विकराल है। ऐसे अधम बाज़ार में कैसे करें शिकार…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में लांग टर्म के निवेश का फलना कोई जादू नहीं। अर्थव्यवस्था के साथ बढ़ता है निवेश। अर्थव्यवस्था पस्त हो तो निवेश खोखला हो जाता है। जैसे, जापानी अर्थव्यवस्था पिछले बीस सालों से पस्त है तो जो निक्केई सूचकांक दिसंबर 1989 में 38,915 पर था, 23 साल चार माह बाद अभी 13,694 पर है। भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ने की अपार संभावना है तो यहां लंबे निवेश के फलने की गारंटी है। एक ऐसी ही संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

आज सुबह 11 बजे शेयर बाज़ार को ज़ोर का झटका लगेगा, धीरे या तेज़ी से। बाज़ार माने बैठा है कि ब्याज दर में 0.25% कमी होगी। ऐसा हो गया, तब भी और न हुआ, तब भी बाज़ार गहरा होता लगा सकता है। लेकिन खुदा-न-खास्ता रिजर्व बैंक ने अगर ब्याज दर को 0.50% घटाकर सीधे 7% कर दिया, तब तो बाज़ार तेजी से उछल सकता है। हालांकि इसकी उम्मीद न के बराबर है। देखते हैं ज़रा बारीकी से…औरऔर भी

पहली बात। नोट बनाए नहीं, कमाए जाते हैं। नोट किसी देश का केंद्रीय बैंक बनाता है। उसमें भी मूल्य बाज़ार डालता है, वो नहीं। दूसरी बात। ट्रेडर के लिए अनुशासन, जोखिम की क्षमता और गिनती में दक्षता के अलावा तीन जरूरी चीज़ें हैं नियंत्रित मन, व्यवस्थित धन व समयसिद्ध पद्धति। मन को स्थितिप्रज्ञ बनाना पड़ता है। धन कितना भी हो, उसे सही तरीके से लगाना चाहिए। पद्धति को बराबर मांजना होता है। अब देखें आज का बाज़ार…औरऔर भी