उपभोक्ता की तेल, साबुन व पेस्ट जैसी रोजमर्रा की ज़रूरतें हमेशा बनी रहनी हैं तो एफएमसीजी कंपनियों का धंधा कभी मंदा नहीं पड़ता। गरीब से गरीब इंसान भी दवाओं व इलाज पर खर्च में कोताही नहीं बरतता तो दवा कंपनियों का धंधा भी सदाबहार चलता है। इसी तरह उन कंपनियों का धंधा भी बराबर चौकस रहता है जो आम उपभोक्ता को नहीं, बल्कि उद्योगों को सीधे अपना माल बेचती हैं। तथास्तु में आज ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

स्मॉल-कैप कंपनियों के शेयर जमकर उछलते हैं तो गिरते भी हैं उतनी ही तेज़ी से। वहीं, मिड-कैप कंपनियों के साथ भी कमोबेश यही होता है। लेकिन मजबूत लार्ज-कैप कंपनियां अगर सही भाव पर पकड़ ली जाएं तो उनमें धीमी ही सही, मगर निरतंर वृद्धि होती रहती है। आज तथास्तु में ऐसी ही एक लार्ज-कैप कंपनी जिसके शेयर बीते तीन महीनों में 21% गिर चुके हैं। अभी इसमें निवेश करना लंबे समय में काफी लाभकारी साबित होगा।…और भीऔर भी

उद्योग में संभावना हो, कंपनी मजबूत हो, प्रबंधन अच्छा हो तो उसके शेयर हम कई बार थोड़ा-थोड़ा खरीद सकते हैं। पिछले एक-दो महीने में इसी कॉलम में बताई गई कुछ कंपनियों के शेयर गिरे हैं तो घबराने के बजाय उन्हें थोड़ा और खरीद लेना चाहिए। वहीं, जो कंपनी अपने अंतर्निहित मूल्य से ज्यादा भाव पर ट्रेड हो रही हो, उसके थोड़े शेयर अभी खरीदने चाहिए और बाकी बाद में। आज तथास्तु में ऐसी ही एक चढ़ी कंपनी…औरऔर भी

पांच साल पहले जब मैंने ‘मल्टी-बैगर’ शब्द सुना तो न कुछ समझ में आया, न ही किसी ने समझाया। बाद में पता चला कि इसका सीधा-सा मतलब है कई गुना बढ़नेवाले शेयर। प्रायः ये स्मॉल-कैप कंपनियों के शेयर होते हैं। दिक्कत यह है कि ऐसे शेयर हफ्तों में आसमान छू लेते हैं, लेकिन दिनों में ही पाताल तक लुढ़क जाते हैं। इसलिए इनके चुनने में बड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है। आज तथास्तु में एक संभावनामय स्मॉल-कैप कंपनी…औरऔर भी

बराबर रिटर्न कमाते-कमाते अक्सर भ्रम हो जाता है कि शेयर बाज़ार में रिस्क ही नहीं। अगर है तो हम उस्ताद जो ठहरे! इस भ्रम को तोड़ दिया बीते हफ्ते बुधवार ने, जब सेंसेक्स 2.63% और निफ्टी 2.74% लुढ़क गया, वो भी सिंगापुर में हुई अल्गोरिदम ट्रेडिंग के चलते। याद रखें कि ग्लोबल हो जाने से शेयर बाज़ार में निवेश/ट्रेडिंग का रिस्क घटने के बजाय बढ़ गया है। आज तथास्तु में ऐसी कंपनी जिसमें रिस्क थोड़ा ज्यादा है…औरऔर भी

लुभावने बहकावे में न आएं तो शेयर बाज़ार से कमाना कोई रॉकेट साइंस नहीं। ट्रेडिंग भावनाओं और प्रायिकता को पकड़ने का खेल है जबकि निवेश कंपनी की संभावनाओं को पकड़ने का। जैसे, टीवीएस मोटर को ठीक चार साल पहले हमने 56.35 पर पकड़ा था। अभी चार गुना होकर 235.65 पर है। दिक्कत यह है कि यहां कुछ लोग दूसरों को चरका पढ़ाने का धंधा करते हैं। खैर, सेबी उनकी धरपकड़ में लगी है। अब आज का तथास्तु…औरऔर भी

न ज़िंदगी में सब दिन एकसमान होते हैं, न अर्थव्यवस्था में। मजबूती और कमज़ोरी का छोटा-बड़ा चक्र बराबर चलता रहता है। ऐसे में संयत नज़रिए से काम करनेवाला इंसान ही सफल होता है। इसी तरह कंपनियां भी वही कामयाब होती हैं जो बदलाव के चक्र के हिसाब से अपनी नीतियों को संवारती रहती हैं। तथास्तु में आज ऐसी ही एक कंपनी पेश है जो अर्थव्यवस्था के चक्र के चलते फिलहाल थोड़ा दबी है, लेकिन आगे चमकेगी ज़रूर…औरऔर भी

अच्छी कंपनियां चुनो तो वे कभी-कभी ज्यादा ही अच्छी निकल आती हैं। आज तथास्तु में हम जिसका जिक्र करने जा रहे हैं, वो ऐसी ही कंपनी है। हमारी गणना थी कि उसका शेयर चार साल में 52% बढ़ेगा। लेकिन वो सवा साल में ही 158% बढ़ गया। कंपनी की मौजूदा बिजनेस रणनीति व संभावनाओं के आधार पर लगता है कि उसका शेयर अगले चार साल में 105% और बढ़ सकता है। सब्सक्राइबरों के लिए खोलते हैं रहस्य…औरऔर भी

एफडी में इसलिए निवेश करते हैं क्योंकि वहां मूलधन की सुरक्षा के साथ बराबर ब्याज मिलता है। लेकिन 9% सालाना ब्याज पर धन आठ साल में दोगुना होगा। वहीं अगर अच्छी कंपनी में निवेश करें तो धन तीन साल में दोगुना हो सकता है। जैसे, तीन साल पहले इसी कॉलम में हमने पॉलि मेडिक्योर में निवेश को कहा था, तब उसका शेयर 240 रुपए पर था, अभी 514 रुपए है। आज तथास्तु में एक और संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

फाइनेंस की पूरी एक गोल-गोल दुनिया है जो अर्थतंत्र के पूरक का काम करती है। केंद्रीय बैंक, नोटों को छापना, मुद्रास्फीति, सरकारी खज़ाने का घाटा, सरकार व कंपनियों के कर्ज, ब्याज की दर और ऐसी तमाम छोटी-बड़ी चीजें। पर आम लोग फाइनेंस की इस दुनिया में चक्कर खा जाते हैं तो अभी तक भौतिक आस्तियों से चिपके हुए हैं। हमारी कोशिश है कि फाइनेंस की दुनिया को सुलझाकर पेश किया जाए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी