कहते हैं कि लंबे समय का निवेश फलदायी होता है। यह भी मानते हैं कि स्मॉल-कैप कंपनियां कई गुना रिटर्न देती हैं। पर, बीएसई स्मॉल-कैप सूचकांक 31 दिसंबर 2007 से 3 मार्च 2017 के बीच 13,348.37 से महज 2.03% बढ़कर 13,620.17 पर पहुंचा है। यानी, इस सूचकांक में दस साल पहले लगाए गए आपके 100 रुपए अभी तक मात्र 102 रुपए हुए होते। इसलिए मिथकों में फंसकर निवेश सफल नहीं होता। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

जीवन में हमेशा बहुत कुछ नया होता रहता है। इसी तरह अर्थव्यवस्था में भी बहुत कुछ नया और अच्छा होता रहता है। सरकार कुछ करे या करे, उद्यमी अपनी धुन में कुछ न कुछ नया रचते रहते हैं। समझदार निवेशक को हमेशा ऐसे उभरते उद्यमियों और उनकी कंपनियों पर नज़र रखनी चाहिए ताकि वे अपनी अतिरिक्त बचत को उनके साथ जोड़कर जोखिम से उपलब्धि की यात्रा कर सकें। आज तथास्तु में इसी यात्रा पर निकली एक कंपनी…औरऔर भी

समृद्धि बढ़ने से खपत का स्तर बढ़ता है और बिजनेस के नए-नए अवसर बनते जाते हैं। देश की अर्थव्यवस्था बढ़ती जाती है। कुछ उद्यमी इतने तेज़ होते हैं कि वे देश की नहीं, विदेश तक के अवसरों को पकड़ लेते हैं। लेकिन कई उद्योग ऐसे हैं जिन्हें जीवन की तरह उतार-चढ़ाव के चक्र से गुजरना पड़ता है। प्रबंधन दुरुस्त हो तो हर दुष्चक्र तोड़ देता है। तथास्तु में विजय के मुहाने पर खड़ी एक ऐसी ही कंपनी…औरऔर भी

जो समय और टेक्नोलॉज़ी के साथ न चल सके, उसे मिटने से कोई रोक नहीं सकता। ज़ेरॉक्स व कोडक जैसी नामी कंपनियों का यही हश्र हुआ। यही नहीं, इंटरनेट पर सबसे पहले छानेवाली ब्लूचिप कंपनी याहू भी मिटने की कगार पर पहुंची तो वेरिज़ोन ने उसे काफी सस्ते में खरीद लिया। लेकिन आज हम तथास्तु में भारतीय मनोरंजन जगत की ऐसी कंपनी पेश करने जा रहे हैं जो बदलते वक्त के साथ खुद को ढालती रही है…औरऔर भी

अपने यहां शेयरों में निवेश करते वक्त कंपनी के धंधे व अर्थव्यवस्था की स्थिति के साथ ही बड़ा रिस्क यह है कि हमारा वित्तीय बाज़ार ठगों से भरा हुआ है। कहने को सेबी है, लेकिन इनसाइडर ट्रेडिंग खूब होती है। सबको बताने के लिए सूचनाएं अलग और जानकार विश्लेषकों के लिए अलग होती हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि निवेश करने से पहले सारी जानकारियों को कायदे से ठोंक-बजा लिया जाए। आज तथास्तु में एक रिस्की कंपनी…औरऔर भी

जीवन में रिस्क है। धंधे में भी रिस्क है। लेकिन सभ्यता के विकास के साथ इंसान ने रिस्क को संभालने का भी इंतज़ाम किया। छोटी कंपनियों ने निर्यात किया तो बड़ी कंपनियां नए भूगोल में ही पहुंच गईं। इधर अमेरिका व ब्रिटेन में अपने बाज़ार को बचाने का नारा लग रहा है। लेकिन तमाम बड़ी कंपनियों ने अपना बिजनेस दायरा सारी दुनिया में फैलाकर जोखिम कम कर लिया है। आज तथास्तु में ऐसी ही एक बड़ी कंपनी…औरऔर भी

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा। भारतीय अर्थव्यवस्था की कुछ ऐसी ही स्थिति है। अंग्रेज़ों ने इसे खोखला बनाने की पुरज़ोर कोशिश की। आज़ाद भारत की सरकारों का भी रुख इसके मुक्त विकास का नहीं रहा। मौजूदा सरकार भी नोटबंदी जैसी हरकतों से अपनी जड़ता दिखा चुकी है। लेकिन भारत और वहां की कंपनियों को बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। आज तथास्तु में एक और संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

बुरे से बुरे दौर में भी समाज में अच्छे व मूल्यवान लोगों का अकाल नहीं होता। इसी तरह बाज़ार में अच्छी व मूल्यवान कंपनियां हमेशा उपलब्ध रहती हैं। बस, उनकी शिनाख्त करनी पड़ती है। समाज में अच्छे लोगों को भले ही मान न मिले, लेकिन बाज़ार में अच्छी कंपनियों को उनका मूल्य देर-सबेर मिल ही जाता है। इसलिए उन्हें तभी खरीद लेना चाहिए, जब उनका भाव कम चल रहा हो। तथास्तु में आज ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

सरकार परेशान है कि उसे पर्याप्त टैक्स नहीं मिलता। वैसे, टैक्स से मिला जनधन वो नेताओं से लेकर अफसरों तक पर लुटाने में कोई कोताही नहीं बरतती। निवेशक को चिंता रहती है कि उसे ज्यादा रिटर्न नहीं मिलता। इस चक्कर में वो सदस्य बनाने की स्कीमों में फंस जाता है। समाधान यही है कि देश में उपयोग की चीजें व सेवाएं देनेवाली कंपनियां मजबूत बनें जिससे टैक्स व रिटर्न दोनों बढ़ेगा। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

नया साल। नए संकल्प। पुराना साल बहुत कुछ सिखाकर गया। उसके सबक याद रखते हुए आगे बढ़ते जाना है। अपनी सोच को व्यापक व स्वावलंबी बनाना है। इधर, ब्रोकरों ने मौका ताड़कर तमाम सलाहें ढेल दी हैं जो उनके काम की तो हैं, अपने नहीं। अगर हमने निवेश का स्वतंत्र सिस्टम विकसित नहीं किया तो पुरानी गलतियां बार-बार करेंगे। तथास्तु में आज ऐसी कंपनी जो पहला लक्ष्य पाने के बाद नई मंज़िल की ओर बढ़ रही है…औरऔर भी