निवेश और धंधे की बात आती है तो देश या राष्ट्रवाद की सारी सीमाएं टूट जाती हैं। लाखों विदेशी निवेशक अपने देश के बजाय आज भारत जैसे उभरते देशों में इसीलिए निवेश कर रहे हैं क्योंकि यहां कहीं ज्यादा रिटर्न मिल रहा है। असल में निवेश करते वक्त स्वदेशी और विदेशी कंपनियों का फर्क मिट जाता है। जिसके धंधे में अच्छी संभावना है, वहां निवेश करना लाभदायी होता है। आज तथास्तु में पेश है एक बहुराष्ट्रीय कंपनी…औरऔर भी

समाज व राजनीति की तरह शेयर बाज़ार में भी ठगों की कमी नहीं। लंबी हांकना इनकी फितरत है। भावनाओं को हवा देकर ये अपना शिकार करते हैं। शेयर बाज़ार में इसका खास तरीका है मल्टी-बैगर का। फेंकते हैं कि फलानां शेयर कुछ महीनों-साल में कई गुना हो जाएगा। यह बहुत बड़ा फ्रॉड और घोटाला है क्योंकि पहले से बताना असंभव है कि कोई शेयर इतने साल में इतना गुना हो जाएगा। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाजार से कमाना अस्थिर मन के लोगों के वश की बात नहीं। इसके लिए साधक जैसा शांत मन चाहिए। जिस तरह पहले साधकों का ध्यान भंग करने के लिए रम्भा व मेनका जैसी अप्सराएं भेजी जाती थीं, उसी तरह इस समय निवेशकों को ध्यान भंग करने के लिए राकेश झुनझुनवाला जैसे नाम उछाले जाते हैं। ऐसे नामों की बेवसाइटों से निवेशकों को छला जाता है। इनके झांसे में ना आएं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

जो शेयर उठकर गिरता है, वो कहां तक गिरेगा, कोई भरोसा नहीं। लेकिन जो गिरकर उठता है, उसके बारे में इतना माना जा सकता है कि वो पिछले उच्चतम स्तर तक चला जाएगा। हम तथास्तु में आज जिस कंपनी के बारे में लिखने जा रहे हैं, वो सरकारी और सुरक्षित कंपनी है। उसके बारे में हमने निवेश की पहली सलाह करीब सवा साल पहले दी थी। लेकिन तब से वो काफी गिरने के बाद उठान पर है…औरऔर भी

हर कंपनी कोई न कोई धंधा करती है। कुछ धंधे ऐसे होते हैं जो काल के गाल में समा जाते हैं। जैसे, कैसेट और वीसीआर का धंधा एकदम मिट गया। लेकिन दवा और साबुन, टूथपेस्ट जैसी रोज़मर्रा की चीज़ों का धंधा ऐसा है जिसमें कभी मंदा नहीं आ सकता। हिदुस्तान यूनिलीवर नहीं तो पतंजलि आ जाएगी। धंधे और भी हैं जिनकी मांग कभी खत्म नहीं होती। तथास्तु में आज ऐसे ही सदाबहार धंधे में लगी एक कंपनी…औरऔर भी

हम जो कर रहे हैं, उसको जिस हद तक नहीं जानते, उतना ही उसमें रिस्क होता है। शेयर बाजार में निवेश करते समय यह बात दिमाग में भलीभांति बैठा लेनी चाहिए। हम अक्सर किसी के महज कहने पर अपनी बचत लगा देते हैं, बिना कायदे से जाने कि जिस कंपनी में हम निवेश कर रहे हैं वो करती क्या है। सोचिए कि अगर आप उदयमी होते तो क्या वह कंपनी बनाते? तथास्तु में एक और संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

इस साल 29 फरवरी को निफ्टी 6826 पर था। बढ़कर 7 जून को 8295 तक जा पहुंचा। 1469 अंक ऊपर। बीते हफ्ते दो बड़ी घटनाओं में यह इसका आधा, 735 अंक गिरकर 7560 पर आ गया होता तो अच्छी बात होती। लेकिन राजन के मामले पर वो गिरा ही नहीं; ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से निकलने पर 181.85 अंक ही गिरा। और गिरता तो अच्छे शेयर सस्ते हो गए होते! अब तथास्तु में आज की संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

जीडीपी के आंकड़े बढ़ा देने से अर्थव्यवस्था नहीं बढ़ती, बल्कि अर्थव्यवस्था के बढ़ने से सही मायनों में जीडीपी बढ़ता है। ऐसा होने पर कंपनियों का बिजनेस बढ़ता है और साथ ही बढ़ जाता है उनका मुनाफा। यही मुनाफा उनके शेयरों के भाव बढ़ाता है। कुछ कंपनियां होती हैं जो कमाए गए लाभ का बड़ा अंश शेयरधारकों को बतौर डिविडेंड दे देती हैं। इससे उनका शेयर और ज्यादा चमक जाता है। आज तथास्तु में ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

इंसानों का काम मशीनें करने लगें तो लोग क्या करेंगे? हाल की खबर है कि विप्रो 3000 सॉफ्टवेयर इंजीनियरों का काम कृत्रिम इंटेलिजेंस से करवाने जा रही है। इसी 5 जून को स्विटज़रलैंड के 76.9% लोगों ने हर देशवासी को सम्मान सहित जीवन जीने के लिए बुनियादी आय देने का प्रस्ताव खारिज़ कर दिया। मगर, जब तक लोगों की ज़रूरतें रहेंगी, उत्पादन इंसान करे या मशीनें, कंपनियां तो बनी ही रहेंगी। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

मानसून, ब्याज दर, मुद्रास्फीति, डॉलर के मुकाबले रुपया, जिंसों के भाव और जीडीपी का बढ़ना या घटना ऐसे कारक हैं जो शेयर बाज़ार व शेयरों के भावों को क्षणिक रूप से चंद दिन या महीने भर के लिए प्रभावित करते हैं। लेकिन लंबे समय में कंपनी के बिजनेस की मजबूती और प्रबंधन का दमखम ही शेयरों के भाव को प्रभावित करता है। इसीलिए ट्रेडर के विपरीत निवेशक को हमेशा दूर की सोचनी चाहिए। अब आज का तथास्तु…औरऔर भी