शेयर बाज़ार मुख्यतः चार दौर या चक्र से गुजरता है: निराशा, संशय, आशा और उन्माद। निराशा के दौरान जमकर खरीदना और एकदम नहीं बेचना चाहिए। संशय के दौरान संभलकर खरीदना और थोड़ा-थोड़ा बेचकर मुनाफा बनाना चाहिए। आशा के दौर में सावधानी से खरीदना और बराबर बेचकर मुनाफा निकालना चाहिए। वहीं, उन्माद के दौर में जमकर बेचना और बेहद चुनिंदा खरीद करनी चाहिए। अभी हमारा बाज़ार उन्माद के दौर में है। अब तथास्तु में आज की संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

पच्चीस साल पहले शेयर बाज़ार में ऐसी ही गहमागहमी थी। हर तरफ हर्षद मेहता का जलवा था। कहते थे कि जिसे वो हाथ लगाए, सोना बन जाए। लेकिन जब वो हीरो से ज़ीरो बना तो लाखों निवेशकों व ट्रेडरों की बचत स्वाहा हो गई। सबक यह कि चढ़े हुए बाज़ार के पीछे भागना ठीक नहीं। निवेश तभी करें, जब भाव वाजिब स्तर पर आ जाए। तथास्तु में एक अच्छी कंपनी जिसमें निवेश के लिए इंतज़ार करना होगा…औरऔर भी

आगे का पता नहीं। लेकिन फिलहाल अपनी अर्थव्यवस्था की हालत पतली है। जनवरी-मार्च में जीडीपी की वृद्धि दर पांच तिमाही से गिरते-गिरते 6.1% पर आ गई। मई में औद्योगिक उत्पादन मात्र 1.7% बढ़ा है, जबकि साल भर पहले यह 8% बढ़ा था। फिर भी शेयर बाज़ार नए शिखर पर! ऐसे में आंख मूंदकर और लालच में आकर नहीं, बल्कि बहुत समझदारी से निवेश करना होगा। हमने बड़ी मेहनत से छांटी है तथास्तु में एक और निवेशयोग्य कंपनी…औरऔर भी

म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों में निवेशकों की संख्या जून अंत तक 421.7 लाख के नए रिकॉर्ड पर जा पहुंची। ऐसी स्कीमों में निवेशकों की संख्या का पिछला रिकॉर्ड मार्च 2009 में 411.3 लाख का था। लेकिन तब और अब में बहुत फर्क है। तब बाज़ार ऐतिहासिक तलहटी पर था, जबकि अभी ऐतिहासिक शिखर पर। इसलिए अभी का निवेश ज्यादा लाभदायी नहीं हो सकता। ऐसे में अलग से निवेश ही वाजिब होगा। तथास्तु में निवेशयोग्य मजबूत कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार का प्रतिनिधित्व करनेवाला बीएसई सेंसेक्स इस समय 22.64 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। यह कमोबेश वही स्तर है जिसके बाद 2008 में बाज़ार धड़ाम से गिर गया था। इससे ज्यादा मूल्यांकन वो 2000 में गया था, जिसके बाद डॉटकॉम का बुलबुला फूटा था। साफ है कि इस बार भी देर-सबेर बाज़ार को गिरना ही है। इसलिए निवेश में हड़बड़ी करने के बजाय इंतज़ार करना सही होगा। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

बाज़ार में आईपीओ की भरमार है। कंपनियां छोटे-बड़े निवेशकों से 1000 करोड़ रुपए जुटा चुकी हैं। आगे 5000 करोड़ रुपए तक जुटा सकती हैं। डीमार्ट के निवेशकों की मौज चल रही है। हो सकता है कि सीडीएसएल में भी ऐसा हो जाए। करीब दस साल पहले 2007-08 में भी ऐसा ही माहौल था। याद करें। रिलायंस पावर की दीवानगी। लेकिन उसके बाद सेंसेक्स व निफ्टी 60% से ज्यादा गिर गए थे। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

दूध उबलता है दस मिनट तो उफनता है बमुश्किल 10-15 सेकंड। फिर पानी के छींटे मारने या लौ से हटा लेने पर सम जाता है। इसी तरह मानकर चलें कि हमारे शेयर बाज़ार का मौजूदा उफान ज्यादा लंबा नहीं खिंचेगा। अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने सिस्टम में डाले गए अतिरिक्त नोटों को खींचने का फैसला कर लिया है, ब्याज दर भी बढ़ा दी है। तथास्तु में आज एक अच्छी कंपनी जिसके शेयर में ज्यादा उफान नहीं आया है।औरऔर भी

पिछले कुछ हफ्तों से शेयर बाज़ार में विदेशी संस्थाएं बराबर बेच रही हैं, जबकि हमारे म्यूचुअल फंड बराबर खरीदे जा रहे हैं। कारण, आम निवेशक इनमें धन लगा रहे हैं तो खरीदना उनकी मजबूरी है। यह बराबर होता है कि जब बाज़ार शिखर पर होता है तभी रिटेल निवेशक उस ओर दौड़ते हैं। महंगा निवेश अंततः उन्हें मार लगाता है। मगर इंसानी लालच का किया क्या जाए! खैर, आज पेश है तथास्तु में एक और अच्छी कंपनी…औरऔर भी

बाज़ार वही है जहां हर वक्त खरीदने और बेचने के मौके बराबर रहते हैं। वैसे अपना शेयर बाज़ार अभी सातवें आसमान पर है तो खरीदने के मौके बहुत कम हैं। यह अलग बात है कि लोगबाग लालच में पहले से चढ़े हुए को ही खरीदने में लगे हैं। लेकिन समझदारी न बरतें तो आज का निवेश कल का रोना बन जाता है। तथास्तु में आज पेश है इस चढ़े हुए बाज़ार में भी निवेश का अच्छा मौका…औरऔर भी

हमारे हिंदी समाज के सामने बचाने या निवेश करने से कहीं ज्यादा बड़ी समस्या कमाने की है। एक तो ज्यादातर लोग नौकरीपेशा नहीं हैं तो अपनी व अपने परिवार की हारी-बीमारी का इंतज़ाम खुद करना पड़ता है। आकस्मिकता कभी भी चपत लगा सकती है। तब बड़ी बचत भी कम पड़ जाती है। दूसरे, ईमानदारी से कमाना इतना मुश्किल है कि निवेश को लेकर सोचने की फुरसत नहीं मिलती। ऐसे में तथास्तु लाया है एक और निवेशयोग्य मौका…औरऔर भी