सरकारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति की दर 16 जुलाई को समाप्त सप्ताह में घटकर 20 माह के न्यूनतम स्तर 7.33 फीसदी पर आ गई। लेकिन दूध, फल और अंडा, मांस व मछली जैसी जिन प्रोटीन-युक्त खाद्य वस्तुओं का खास जिक्र दो दिन पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने मौद्रिक की समीक्षा में किया था, उनके दाम अब भी ज्यादा बने हुए हैं। साल भर की समान अवधि की तुलना में उक्त सप्ताह में फलऔरऔर भी

खाद्य वस्तुओं पर आधारित मुद्रास्फीति लगातार दो सप्ताह तक इकाई अंक में रहने के बाद खाद्य मुद्रास्फीति फिर दहाई अंक में पहुंच गई है। सब्जी, फल, अंडा और मछली जैसी चीजों के दाम बढ़ने से 12 मार्च को समाप्त सप्ताह के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 10.05 फीसदी हो गई। इससे पिछले सप्ताह में यह 9.42 फीसदी थी और उससे पहले हफ्ते में यह 9.52 फीसदी थी। खाद्य मुद्रास्फीति में इस वृद्धि से सरकार और रिजर्व बैंक कीऔरऔर भी

प्याज, आलू और दालों के दाम में नरमी आने से 19 फरवरी को समाप्त हुए सप्ताह में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 10.39 फीसदी पर पर आ गई। हालांकि इस दौरान फल, दूध और सब्जियों की कीमतों में तेजी बनी रही। इससे पिछले सप्ताह खाद्य मुद्रास्फीति की दर 11.49 फीसदी पर थी, जबकि बीते साल 19 फरवरी को समाप्त हुए सप्ताह में यह 21.62 फीसदी पर पहुंच गई थी। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन सप्ताहऔरऔर भी

सब्जी व दालों का बाजार नरम होने से से 13 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान खाद्य वस्तुओं पर आधारित मुद्रास्फीति की दर थोड़ा और घट कर 10.15 फीसदी पर आ गई। इससे पिछले सप्ताह में खाद्य महंगाई दर 10.3 फीसदी थी। बता दें कि छह सप्ताह से खाद्य मुद्रास्फीति में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। मानसून के बाद सब्जी और दालों की आपूर्ति सुधरने से खाद्य मुद्रास्फीति का दबाव कम हुआ है। सप्ताह केऔरऔर भी