वैसे तो देश के खजाने और मौद्रिक नीति के प्रबंधन का कोई वास्ता किसी आस्था नहीं है। लेकिन रिजर्व बैंक में लगता है कि शीर्ष पर कहीं कोई हनुमान-भक्त बैठा है क्योंकि उसकी सालाना मौद्रिक नीति और हर तिमाही समीक्षा मंगलवार को ही आती रही है। 20 अप्रैल को 2010-11 की सालाना मौद्रिक नीति आई। 27 जुलाई 2010 को पहली समीक्षा, 2 नवंबर 2010 को दूसरी समीक्षा और 25 जनवरी 2011 को तीसरी समीक्षा हुई। इसमें सेऔरऔर भी

हमें इस बात का पूरा अंदाजा था कि तेजड़िये दोहरी अफरातफरी पैदा करेंगे। इसकी दो वजहें थीं। एक, जो लोग कल लांग यानी भावी खरीद के सौदे कर चुके थे, वे भयभीत हो जाएंगे। दो, असली ट्रिगर बाजार बंद बाद होने के बाद आएगा। प्रधानमंत्री की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में 2जी स्पेक्ट्रम मामले में हलफनामा कल, शनिवार को दाखिल किया जाएगा, जिस पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा। बाजार में अगली उथलपुथल मंगलवार को आएगी।औरऔर भी

सारा बाजार, तमाम अर्थशास्त्री और बैंकर यही मान रहे हैं कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की पहली त्रैमासिक समीक्षा में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को जस का तस 6 फीसदी पर रखेगा और रेपो व रिवर्स रेपो दर में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर सकता है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक रिजर्व बैंक फिलहाल चौंकाने के मूड में है और वह सीआरआर को तो नहीं छेड़ेगा, पर रेपो और रिवर्स रेपो में 0.25 फीसदी की जगह 0.50 फीसदीऔरऔर भी