यूं तो प्रतिभा और सत्ता में कोई सीधा रिश्ता नहीं। लेकिन अगर आप प्रतिभाहीन है तो सत्ता से इसकी भरपाई कर सकते हैं। सत्ता मिलते ही आपके इर्दगिर्द इतने दुम हिलानेवाले जुट जाएंगे कि आपको कभी भान ही नहीं होगा कि आप में प्रतिभा नहीं है।और भीऔर भी

भाषण लफ्फाजी में कब बदल जाते हैं, इसका पता बोलनेवालों को नहीं चलता, लेकिन सुननेवाले ताड़ लेते हैं। नेताओं को मालूम हो कि क्रिया से दूर ज्ञान और करनी से दूर कथनी ज्यादा नहीं चलती।और भीऔर भी