महीने भर पहले हमने एक कंपनी में 225-234 की रेंज में निवेश को कहा था, लक्ष्य तीन साल में 450 तक पहुंचने का है। इस दौरान इसका शेयर 206 तक गिर गया तो कुछ सब्सक्राइबर चिंतित हो उठे। वैसे, 6 फरवरी को बेहतर नतीजों के बाद यह उठने लगा है। दरअसल, भारतीय अर्थव्यवस्था और अच्छी कंपनियों में इतनी संभावना है कि हमें महीने या तिमाही की गिरावट से परेशान नहीं होना चाहिए। तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

हम चाहकर भी सारे काम अकेले नहीं कर सकते। कुछ काम दूसरों को सौंपना ही पड़ता है। आपस की इसी निर्भरता से बनता है समाज और चलते हैं व्यापार और उद्योग-धंधे। काम की चीज़ सेवा भी हो सकती है और कोई उत्पाद भी। उत्पाद आम खपत का भी हो सकता है और औद्योगिक खपत का भी। उत्पाद ऐसा हो जिसके बिना काम नहीं चल सकता तो उसका धंधा फलता-फूलता है। तथास्तु में ऐसी ही संभावनामय छोटी कंपनी…औरऔर भी

शेयरों के भाव बढ़ते हैं तो लोगबाग बावले हो जाते हैं और उनमें खरीदने की होड़ मच जाती है। चालू वित्त वर्ष 2014-15 में दिसंबर तक के नौ महीनों में इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीमों में धन लगानेवालों की संख्या 12.12 लाख बढ़ गई। लेकिन अगस्त 2013 में जब बाज़ार गिरा हुआ था, तब सभी दुबके पड़े थे। समझदारी इसमें है कि निवेश के लिए भावों के गिरने का इंतज़ार किया जाए। तथास्तु में इसका एक जानदार उदाहरण…औरऔर भी

पब्लिक सेक्टर को गरियाना फैशन बन गया है। लेकिन महान सांख्यिकीविद व नेहरू के करीबी महलनोबिस ने 1956 के औद्योगिक नीति प्रस्ताव में माना था कि 15 साल बाद, यानी 1971 से यह क्षेत्र सरकार को इतना लाभांश देगा कि आम लोगों पर कोई टैक्स लगाने की ज़रूरत नहीं होगी। राजनीतिक भ्रष्टाचार ने उनकी गणना को भले ही नाकाम कर दिया हो, पर अभी भी हैं इस क्षेत्र में तमाम रत्न। तथास्तु में ऐसा ही एक महारत्न…औरऔर भी

बिन-मांगे बहुतेरी टिप्स का एसएमएस आता रहता है। लेकिन अच्छी कंपनियों की खबर लगते ही उस्ताद लोग उन्हें बताते किसी को नहीं, खुद खरीदते चले जाते हैं। आज हम तथास्तु में ऐसी ही एक संभावनामय कंपनी के बारे में बताने जा रहे है जिसका शेयर पिछले पांच दिन में 35% से ज्यादा बढ़ गया। जाहिरा तौर पर निवेश से पहले उसके ठंडा होने का इंतज़ार करना पड़ेगा। और, ऐसा होकर रहेगा क्योंकि स्मॉल-कैप की यही फितरत है।…औरऔर भी

ट्रेडिंग और निवेश की दुनिया एकदम भिन्न है। एक में भावों का ट्रेन्ड पकड़ते हैं। ट्रेन्ड गलत निकले तो मार से बचने के लिए स्टॉप-लॉस लगाकर चलना ज़रूरी है। वहीं, निवेश शेयर के अंतर्निहित मूल्य के आधार पर किया जाता है। बाजार भाव उससे जितना कम होता है, निवेश उतना ही फलदायी होता। कंपनी के मूलभूत कारक मजबूत हैं और शेयर गिर गया तो उसे और ज्यादा खरीदा जा सकता है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

नई आशा व उत्साह के साथ साल 2015 की शुरुआत हुई है। ताज़ा सर्वेक्षण के मुताबिक 73% लोग मानते हैं कि इस साल अर्थव्यवस्था की हालत पहले से बेहतर रहेगी। इस उम्मीद का सबसे बड़ा फायदा कॉरपोरेट क्षेत्र को मिलेगा। खासतौर पर यह मजबूत कंपनियों के शेयरों में नज़र आएगा। ऐसे में ‘कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे’ की हालत न रहे, इसके लिए तथास्तु ला रहा है निवेश के लिए नई कंपनियां। इसी की पहली कड़ी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में आपको वही धन लगाना चाहिए जिसकी ज़रूरत आपको अगले 5-10 साल तक नहीं पड़ने जा रही। यह वो धन होना चाहिए जो आप अपने बाल-बच्चों के लिए छोड़ कर जाना चाहते हैं। अगर आप हर दिन भाव देखने और यह पता लगाने के लिए बेचैन रहते हैं कि आपका पोर्टफोलियो कितना बढ़ा तो आपको शेयर बाज़ार से दूर ही रहना चाहिए। शेयरों में निवेश नियमित कमाई का विकल्प नहीं है। अब आज का तथास्तु…औरऔर भी

अच्छी कंपनियों के शेयर मंथर-मंथर बढ़ते रहते हैं। हमने करीब सवा साल पहले इसी कॉलम में एक मिड-कैप स्टॉक में निवेश की सलाह देते हुए तीन साल में उसके दोगुना होने का आकलन किया था। वो एक साल में ही दोगुना हो गया। अभी अगले दो-तीन साल में उसके कम-से-कम डेढ़ गुना होने की प्रबल संभावना है। इसलिए जो उसमें हैं, बने रहें। बाकी लोग नई खरीद कर सकते हैं। तथास्तु में उसी कंपनी का नया लेखा-जोखा…औरऔर भी

निवेश कोई सबसे ज्यादा रिटर्न पाने की दौड़ नहीं है। यह तो वह तरीका है जिसमें आप अपने धन को सुरक्षित रखते हुए अधिकतम रिटर्न कमा सकते हैं। जिस कंपनी को आप जानते हैं, उसके उत्पादों व सेवाओं से परिचित हैं, उसमें निवेश ज्यादा सुरक्षित रहेगा, बनिस्बत उस कंपनी के, जिसको न आप जानते हैं और न जिसका धंधा आपको समझ में आता है। जैसे, डाबर या कॉलगेट पामोलिव? तथास्तु में आज एक ऐसी ही परिचित कंपनी…औरऔर भी