बच्चों की सोच लगाएं शेयरों में धन

शेयर बाज़ार में आपको वही धन लगाना चाहिए जिसकी ज़रूरत आपको अगले 5-10 साल तक नहीं पड़ने जा रही। यह वो धन होना चाहिए जो आप अपने बाल-बच्चों के लिए छोड़ कर जाना चाहते हैं। अगर आप हर दिन भाव देखने और यह पता लगाने के लिए बेचैन रहते हैं कि आपका पोर्टफोलियो कितना बढ़ा तो आपको शेयर बाज़ार से दूर ही रहना चाहिए। शेयरों में निवेश नियमित कमाई का विकल्प नहीं है। अब आज का तथास्तु…

आज निवेश के लिए हमने आपके लिए जिस कंपनी को चुना है, वो है कैपिटल फर्स्ट लिमिटेड। 2012 तक यह गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप का हिस्सा हुआ करती थी और इसका नाम था फ्यूचर कैपिटल। यह कंपनी अपना कोई अच्छा बिजनेस मॉडल नहीं बना पाई थी। तभी आईसीआईसीआई बैंक में लंबे समय तक रह चुके वी वैद्यनाथन की इसकी कमान संभाली। दुनिया की मशहूर प्राइवेट इक्विटी फर्म वॉरबर्ग पिनकस ने इसे फ्यूचर ग्रुप से खरीद लिया। इस समय कंपनी की 83.01 करोड़ रुपए की इक्विटी में वॉरबर्ग ने अपनी दो सहयोगी कंपनियों के जरिए 71.66 प्रतिशत हिस्सा ले रखा है। साथ ही इसकी 3.9 प्रतिशत इक्विटी एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ ने ले रखी। नए प्रबंधन ने कंपनी का बिजनेस मॉडल बदला। तय किया कि वो सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र की फाइनेसिंग पर केंद्रित करेगी। इस समय कंपनी अपने लगभग 80 प्रतिशत ऋण एमएसएमई क्षेत्र को दे रखे हैं।

ध्यान दें कि नई सरकार ने जिस ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को देश के मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ाने का साधन बनाया है, उसमें लघु व मझोले उद्योग को ज्यादा प्राथमिकता मिलना लाज़िमी है। वैसे भी अभी इस तरह की करीब 3 करोड़ इकाइयां हैं और देश के औद्योगिक उत्पादन में उनका योगदान लगभग 45 प्रतिशत और निर्यात में 40 प्रतिशत योगदान है। इस क्षेत्र को तमाम वजहों से बैंक ऋण देने से परहेज करते हैं। ऐसे में कैपिटल फर्स्ट ने इस क्षेत्र पर बहुत सोच-समझकर केंद्रित किया है।

कंपनी ने मार्च 2011 तक इस क्षेत्र को कुल 720 करोड़ रुपए का ऋण दे रखा था। मार्च तक यह रकम 6400 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कंपनी कितने पुरजोर तरीके से अपना धंधा बढ़ा रही है। साथ ही देश के सेवा क्षेत्र में स्वरोजगार में लगे लोगों का योगदान 54 प्रतिशत के आसपास है। कंपनी ने इस तबके की भी ऋण ज़रूरतें पूरी करती है। वह औसतन 80 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपए तक के ऋण देती है। कभी-कभी उसके ऋण 5 करोड़ रुपए तक चले जाते हैं। लेकिन वह सारे के सारे ऋण आवासीय या व्यावसायिक संपत्ति को जमानत में रखकर देती है। इसलिए उसके ऋण की वापसी भी सुनिश्चित रहती है।

इसकी समकक्ष कंपनी है बजाज फाइनेंस। उसकी तुलना में इसकी लाभप्रदता की स्थिति अभी कमज़ोर लगती है। जैसे, बजाज फाइनेंस का शुद्ध लाभ मार्जिन वित्त वर्ष 2013-14 में 17.8 प्रतिशत रहा है, जबकि इसका 6.1 प्रतिशत। इसी तरह बजाज फाइनेंस का इक्विटी पर रिटर्न 19.6 प्रतिशत है, जबकि इसका मात्र 4.9 प्रतिशत। लेकिन इसका शुद्ध एनपीए या डूबत ऋण 0.1 प्रतिशत है, जबकि बजाज फाइनेंस का 0.3 प्रतिशत। इसका पूंजी पर्याप्तता अनुपात 22.2 प्रतिशत है, जबकि बजाज फाइनेंस का 19.1 प्रतिशत। बता दें कि एनबीएफसी के लिए पूंजी पर्याप्तता मानक रिजर्व बैंक ने 15 प्रतिशत तय कर रखा है। इससे ज्यादा होने का मतलब है कि कंपनी का पूंजी आधार मजबूत स्थिति में है।

असल में कैपिटल फर्स्ट इस समय अपना आधार जमाने के बाद अभी टेक-ऑफ की तैयारी में है। यह अगले तीन साल में इसकी विकास दर काफी अच्छी रहने का अनुमान और बहुत संभव है कि यह बजाज कैपिटल के बराबर आ जाएगी या उसे मात दे देगी। इस दौरान लागत और आय का अनुपात भी काफी सुधर जाने की उम्मीद है। अभी कंपनी का यह अनुपात 73.9 प्रतिशत है। 2016-17 तक इसके घटकर 60 प्रतिशत तक आ जाने का आकलन है।

कंपनी ने समेकित स्तर पर वित्त वर्ष 2013-14 में 406.32 करोड़ रुपए की शुद्ध ब्याज आय (कुल हासिल ब्याज से चुकाए गए ब्याज का अंतर) पर 52.63 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। हमारा आकलन है कि तीन साल बाद 2016-17 में उसकी शुद्ध ब्याज आय 754.12 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 165.14 करोड़ रुपए हो जाना चाहिए। कंपनी की प्रति शेयर बुक वैल्यू अभी 142.3 रुपए है। तीन साल बाद इसके 172.2 रुपए जाने का अनुमान है।

कैपिटल फर्स्ट का दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर शुक्रवार 26 दिसंबर 2014 को बीएसई में 349.25 रुपए और एनएसई में 348 रुपए पर बंद हुआ है। ज्यादा आसार इस बात के हैं कि अगले कुछ दिन में यह घटकर 320 रुपए पर जाए। तभी इसमें पहली खरीद करनी चाहिए। इसके बाद अगली खरीद तब करें जब घटकर 255 या इससे नीचे आ जाए क्योंकि निवेश का सही भाव वही है। लेकिन अभी निवेश इसलिए करें ताकि यह संभावनामय कंपनी हाथ से निकल न जाए।

अभी उसका शेयर बुक वैल्यू से 2.45 गुने भाव पर ट्रेड हो रहा है। हमारी गणना के हिसाब से तीन साल इसे 455 रुपए पर पहुंच जाना चाहिए। असल में बुक वैल्यू से 2.64 गुना करने पर हमने भविष्य का यह भाव निकाला है। अगर हम इसे 320 रुपए खरीदें और तीन साल बाद वो 455 रुपए पर पहुंच गया तो इतने समय का सीधा रिटर्न 42.18 प्रतिशत निकलता है, जबकि रिटर्न की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) 12.45 प्रतिशत निकलती है जिसे ठीकठाक माना जाएगा।

कैपिटल फर्स्ट लिमिटेड (बीएसई 532938, एनएसई – CAPF)

शुक्रवार का बंद एंट्री का भाव 52 हफ्ते का उच्चतम/न्यूनतम भावी उम्मीद तीन साल का अपेक्षित रिटर्न
348.00 320 379.95/126.05 455 रुपए 42.18%

(भाव एनएसई के)

यह चूंकि उभरती कंपनी है जो देश की अर्थव्यवस्था के साथ बढ़ती जाएगी। इसलिए इसमें तीन साल नहीं, बल्कि पांच से दस साल के लिए निवेश करना चाहिए। अभी अगर निवेश के लिए आपके पास कुल एक लाख रुपए हैं तो इसमें से 3500 रुपए तक आप अभी इसमें लगा सकते हैं। यानी, अभी इसके दस शेयर आपको खरीद लेने चाहिए। बाद में घटकर 255 तक आ जाए तो इसके 10-15 शेयर और खरीद सकते हैं।

कंपनी पिछले पांच सालों से लाभांश दे रही है। यूं तो उसकी मौजूदा लाभांश यील्ड मात्र 0.57 प्रतिशत है। लेकिन नियमित लाभांश देना उसकी मजबूती और शेयरधारको के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

डिस्क्लेमर: शेयर बाजार के निवेश में सबसे ज्यादा रिस्क है। इसलिए निवेश का फैसला काफी सोच-विचार और रिसर्च के बाद ही करें। आपके निवेश के लिए हम किसी भी रूप में जिम्मेदार नहीं होंगे।

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