इस बार चिकित्सा क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार तीन ऐसे वैज्ञानिकों को दिया गया है जिन्होंने पता लगाया है कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कैसे काम करती है। ये तीन वैज्ञानिक हैं – अमेरिका के ब्रूस ब्यूटलर, लक्जमबर्ग के जूल्स हॉफमैन और कनाडा के राल्फ स्टाइनमैन। इन तीनों को संयुक्त रूप से वर्ष 2011 का चिकित्सा क्षेत्र का नोबल पुरस्कार देने की घोषणा सोमवार को की गई। पुरस्कार देने वाली स्वीडन की संस्था कैरोलिन्सका इंस्टीट्यूट ने एक बयानऔरऔर भी

जल्दी ही कैंसर की एक सार्वभौमिक दवा तैयार होगी जिसके बारे में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वह सभी तरह के कैंसर को वह बीच में ही रोक देगी। वैज्ञानिकों के अनुसार यह दवा की नयी पीढ़ी का हिस्सा है। वो अग्नाशय, प्रोस्टेट और स्तन जैसे कैंसरों के खिलाफ शरीर की अपनी रक्षा प्रणाली का इस्तेमाल करती है। वैज्ञानिकों के अनुसार दो साल में यह दवा बाजार में आ जाएगी। हालांकि टीके भी इस बीमारी कोऔरऔर भी

हम शरीर में न जाने कितने रोगाणु लिए फिरते हैं। न जाने कितने वाइरस व बैक्टीरिया के कैरियर बने रहते हैं। इनसे निपट लेती है शरीर की प्रतिरोधक क्षमता। लेकिन रुग्ण विचारों से निपटने का जिम्मा हमारा है।और भीऔर भी

“शरीर हमसे बिना पूछे सोते-जागते, दिन-रात अपना काम करता रहता है। हमारे पूरे सुरक्षा तंत्र को चाक-चौबंद रखता है। लेकिन उसे भी कभी-कभी हमारी मदद की जरूरत पड़ती है। वह इशारों में बताता है। जब भी हम इन इशारों को नहीं समझते तो हमें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है।”और भीऔर भी