हफ्ते भर में कभी फुरसत ही नहीं मिलती कि आपसे कोई सीधी बात हो सके। तीन महीने बीत गए, चौथा बीतने जा रहा है। देखिए, एक बात तो तय मानिए कि हमारा रिश्ता लंबा होने जा रहा है। अर्थकाम को धीरे-धीरे ऐसा बना देना है कि वह हमारी-आपकी दुनिया की देखभाल में सक्षम हो जाए। मेरे एक अभिन्न मित्र ने शुरुआत के वक्त कहा कि चलिए आप अर्थ-काम देखिए, हम धर्म-मोक्ष संभाल लेते हैं। बात मुझे अचानकऔरऔर भी