लकीर के फकीर
प्रकृति है। उसके नियम हैं। समाज है। उसके भी नियम हैं। समाज के अलग-अलग घटकों के भी नियम हैं। जो प्रकृति और समाज के नियमों को समझते हैं, वे ही नया कुछ रचते हैं। बाकी या तो बहती गंगा में हाथ धोते हैं या औरों के हाथों ठगे जाते हैं।और भीऔर भी
पूर्ण-अपूर्ण
अपने-आप में तो हर कोई पूर्ण है। जानवर भी पूर्ण, इंसान भी पूर्ण। ओस की बूंद तक एकदम गोल। प्रकृति ने संतुलन का नियम ही ऐसा चला रखा है। पर बाहर से देखो तो सब कुछ अपूर्ण। गुमान तोड़कर देखने पर ही यह अपूर्णता नज़र आती है।और भीऔर भी
सबक लो, बढ़ते चलो
चीजें जो कल थीं, आज नहीं हैं। आज जैसी हैं, वैसी कल नहीं रहेंगी। परिवर्तन का यही नियम है। यही जीवन है। इसलिए कल से चिपके रहने या आज को लेकर रोते रहने का कोई मतलब नहीं। सबक लो, बढ़ते चलो। यही सही है और उचित भी।और भीऔर भी
आंखें और उजाला
भोर से पहले आंख बंदकर सोचते रहते हैं तो हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा नज़र आता है। आंखें खोलकर देखते हैं तो इस बीच हर तरफ उजाला आ चुका होता है। लेकिन प्रकृति का यह नियम क्या समाज पर भी लागू होता है?और भीऔर भी
हर चीज की काट
इस जहां में सिर्फ एक चीज है जिस पर इंसान का वश नहीं है। वो है समय और उसी से संचालित होता जीवन-मरण का चक्र। बाकी किसी भी चीज की काट नियमों को समझकर निकाली जा सकती है।और भीऔर भी
अनायास कुछ नहीं
इस दुनिया-जहान में कुछ भी अनायास नहीं होता। हर चीज में एक पैटर्न है। हर घटना के पीछे कोई न कोई नियम है। जिसे देख नहीं पाते, उसे हम अपवाद कह देते हैं। लेकिन अपवाद भी नियमों के अधीन है।और भीऔर भी
पूरा संभलकर
इस दुनिया में परिवार, प्यार व चंद दोस्तों के अलावा हर कोई पहले अपना फायदा देखता है। इक्का-दुक्का अपवाद संभव हैं। लेकिन फाइनेंस की दुनिया में यह अपवाद नहीं, नियम है। इसलिए पूरा संभलकर।और भीऔर भी
नियम दिखाने को हैं, मानने को नहीं
बाजार उम्मीद के मुताबिक 4730 से सुधरकर 5001 तक आ चुका है। इसके जल्दी ही 5080 तक चले जाने की संभावना है क्योंकि अब भी यह ओवरसोल्ड अवस्था में है। लेकिन उसके बाद इसमें इस सिरे से उस सिरे तक की उछल-कूद शुरू होगी। एक सिरा 4900 का है तो दूसरा 5240 का। उसी के बाद हम राय बनाएंगे कि सारे मंदड़ियों की मान्यता के अनुरूप यह 4000 तक जाता है कि नहीं। मंदड़ियों ने निफ्टी मेंऔरऔर भी