मन की तसल्ली
अपनी तसल्ली के लिए मन में यही भाव बैठा लेना श्रेयस्कर है कि हम जो भी काम करते हैं, मूलतः अपने लिए करते हैं, दूसरों के लिए नहीं। दूसरा तो बस बहाना है। वह न होता तो हम निठल्ले पड़े रहते।और भीऔर भी
सर्वनाश जरूरी
जीते तो सभी अपने लिए ही हैं। कुछ का जीना दूसरों का भला करता है। ज्यादातर का जीना दूसरों का नुकसान नहीं करता। लेकिन कुछ हैं जो दूसरों का गला काटकर ही फलते-फूलते हैं। इनका सर्वनाश जरूरी है।और भीऔर भी
क्षैतिज या लंबवत
बढ़ने के दो ही तरीके हैं क्षैतिज या लंबवत। दूब जमीन को पकड़ क्षैतिज रूप से फैलती जाती है। वहीं पेड़ बढ़ने के लिए जमीन में लंबवत धंसता चला जाता है। दूब अपने लिए जीती है। पेड़ सबके काम आते हैं।और भीऔर भी