जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने इस महीने के शुरू में मुंबई में ऐलान किया था कि वे 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में दिल्ली की एक निचली अदालत द्वारा गृह मंत्री पी चिदंबरम को क्लीनचिट देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। महीने का अंत होने से पहले ही उन्होंने अपना यह वादा पूरा कर दिया। गुरुवार को उन्होंने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। स्वामी ने अपने इस कदम की जानकारी ट्विटर पर देते हुए लिखा है, “मैंने जज सैनी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी। एक मार्च या होली के बाद इस पर सुनवाई हो सकती है।”
स्वामी का कहना है कि उनके पास चिदंबरम के खिलाफ पर्याप्त सबूत है और वे ए राजा की तरह उनको भी जेल भिजवा कर मानेंगे। उन्होंने मुंबई में आयोजित समारोह में बताया था कि 2जी मामले में जब से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक टीवी चैनल पर कहा कि वित्त मंत्रालय और टेलिकॉम मंत्रालय को स्पेक्ट्रम का दाम तय करने के अधिकृत किया गया था, तभी से वे चिदंबरम के खिलाफ सबूत जुटाने में जुट गए थे। असली मुद्दा यह है कि 2008 में 2001 में मूल्यों पर स्पेक्ट्रम क्यों बेचा गया। मूल्य तय करने में चिदंबरम शामिल थे तो घोटाले के अपराध में राजा की तरह उनकी भी लिप्तता है।
बता दें कि निचली अदालत ने चिदंबरम को 2जी मामले में आरोपी बनाने से इनकार करते हुए कहा था कि वे मामले से संबंधित किसी आपराधिक साजिश में शामिल नहीं थे। लेकिन स्वामी का दावा है कि चिदंबरम भी पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा जितने ही दोषी हैं क्योंकि स्पेक्ट्रम का मूल्य तय करने और दूरसंचार कंपनियों को अपनी हिस्सेदारी विदेशी कंपनियों को बेचने की अनुमति देने में उनकी भी भूमिका थी।
जनता पार्टी अध्यक्ष का कहना है कि निचली अदालत के समक्ष पेश किए गए सबूत यह साबित करने के लिए पर्याप्त थे कि तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम ने प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम और अन्य आपराधिक कानूनों के दायरे में आने वाले अपराध किए है। मालूम हो कि 2 फरवरी को टेलिकॉम कंपनियों के 122 लाइसेंस रद्द करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाते वक्त सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम का मामला निचली अदालत पर छोड़ दिया था और इस अदालत ने 4 फरवरी को चिदंबरम को निर्दोष करार दिया था।