संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि भ्रष्टाचार या सत्ता के दुरुपयोग संबंधी शिकायतें हासिल करने का तंत्र स्थापित करने के प्रावधान वाले विधेयक के दायरे में मंत्रिपरिषद के सदस्यों और उच्च न्यायपालिका को लाया जाना चाहिए।
गुरुवार को राज्यसभा के सभापति को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कानून और न्याय तथा कार्मिक मामलों की स्थाई संसदीय समिति ने सशस्त्र बलों और सुरक्षा तथा खुफिया एजेंसियों को भी ‘जनहित में खुलासा और खुलासा करने वालों के संरक्षण विधेयक 2010’ के दायरे में लाने की सिफारिश की है। इस विधेयक को अगस्त 2010 में लोकसभा में पेश किया गया था। इस विधेयक को व्हिसलब्लोअर संरक्षण विधेयक भी कहा जाता है।
समिति की अध्यक्ष जयंती नटराजन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार का कोई भी संगठन विधेयक के तहत प्रस्तावित सार्वजनिक छानबीन और जवाबदेही के दायरे से बाहर नहीं रहना चाहिए।’’ उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि समिति चाहती है कि कार्मिक मामलों के मंत्रालय को मंत्रिपरिषद के सदस्यों, शीर्ष अदालत सहित न्यायपालिका, नियामक प्राधिकरणों और यहां तक कि कॉरपोरेट जगत को भी जरूरी संशोधन कर विधेयक के दायरे में लाना चाहिए।
जयंती नटराजन ने उम्मीद जतायी कि चूंकि यह विधेयक सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार से निपटने और पारदर्शिता से संबंधित है, लिहाजा इसका प्रस्तावित लोकपाल विधेयक सहित समान विषय से संबंधित अन्य विधेयकों के साथ सामंजस्य होना चाहिए।