देश भर में पिछले हफ्ते शनिवार, 17 मार्च से शुरू हुई सराफा कारोबारियों की हड़ताल सातवें दिन, शुक्रवार को को भी जारी रही। इससे व्यापारियों ने नव संवत्सर के पहले दिन गुड़ी पड़वा व उगाड़ी जैसे पर्व पर गहने बेचने का अच्छा मौका गवां दिया। यह दिन सोना खरीदने के लिए शुभ माना जाता है और लोगबाग पारंपरिक रूप से इस मौके पर थोड़ा-बहुत सोना खरीदते हैं।
सोने के कारोबारी बजट में सोने पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क बढ़ाए जाने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कुमार जैन ने कहा, “हम त्योहार के दिन होने वाली बिक्री से वंचित रह गए क्योंकि हर तरफ हड़ताल चल रही है और इसके चलते ग्राहक भी नहीं आ रहे।”
बता दें कि सरकार चालू खाते के घाटे को कम करने के लिए सोना आयात को कम करना चाहती है। इस चक्कर में जनवरी से लेकर वह अब तक दो बार सोने पर आयात शुल्क बढ़ा चुकी है। इससे प्रति दस ग्राम सोने की लागत 1000 रुपए से ज्यादा बढ़ चुकी है। दिक्कत यह है कि भारत अपनी जरूरत का लगभग सारा सोना आयात से पूरा करता है। स्वर्ण व्यापारियों को लगता है कि इससे उनका धंधा चौपट हो जाएगा। इसलिए उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल छेड़ रखी है।