नौबत ही क्यों आए घाटा उठाने की?

साल 2010 में 5700 से 6160 तक। यह रहा है साल के शुरू से लेकर अंत का निफ्टी का सफर। निफ्टी एक मुकाम हासिल कर चुका है। अब स्टॉक्स भी जनवरी 2011 में ऐसा करेंगे। आप स्क्रीन देखते हैं, बिलखते हैं और अपना हौसला खो बैठते हैं। लेकिन हम कर भी क्या सकते हैं। यह भारतीय बाजार के सिस्टम की नाकामी है।

दिसंबर के सेटलमेंट में जिन स्टॉक्स के भावों में गिरावट आई, वे कभी सुधर कर वापस सही स्तर पर नहीं आए क्योंकि डेरिवेटिव कारोबार को चलानेवाले आपसे कैश का अंतर झटकना चाहते थे। वे ऐसा इसलिए कर सके क्योंकि अपने यहां अभी तक डेरिवेटिव सौदों के फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था नहीं है। 2001 में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने इसे अपनाने की सिफारिश की थी। 2010 में सेबी इसे लागू करने का आदेश भी जारी कर चुकी है। लेकिन एक्सचेंज हैं कि अभी तक इस पर अमल का इंतजार ही किए जा रहे हैं। आखिर क्यों? हम सवाल ही उठा सकते हैं क्योंकि करने और कराने वाले जब तक नहीं चाहेंगे, ऐसा नहीं हो सकता।

संकट ऐसे के दौर में केवल अपने पर यकीन और आत्मविश्वास ही आपको पार लगा सकता है। मैं तमाम निवेशकों को जानता हूं जिन्होंने छोटे स्तर का होने के बावजूद हमारी सिफारिश पर कुछ स्टॉक्स खरीदे हैं। हम अपनी तरफ से आपको आश्वस्त करना चाहते हैं कि हम ऐसे ही शेयर चुनकर आपके लिए पेश करते हैं, जिनमें घाटा खाकर निकलने की नौबत न आए। वैसे भी शेयर बाजार में निवेश किया है तो कम से कम तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक उस पर आपको एफडी से ज्यादा रिटर्न न मिल रहा है। इतना धैर्य तो आपको रखना ही पड़ेगा। फिर भी अगर कोई निवेशक अपनी मर्जी से घाटा उठाने का फैसला करता है तो हम कुछ नहीं कर सकते।

इतना तय मानिए कि 2011 में निफ्टी 6500 से 7000 के स्तर तक पहुंचेगा। यह हमारा वादा है। हमारी वादा सच्चा होता है या नहीं, इसे आप इस हकीकत से परख सकते हैं कि 31 दिसंबर 2010 को निफ्टी 6150 के स्तर से बस चंद अंक ही नीचे रहा है।

कैम्फर एंड एलायड प्रोडक्ट्स और क्विंटेग्रा सोल्यूशंस मेरे खास तौर पर दो चुने गए स्टॉक हैं। एक ऊपरी छोर का जिसका भाव 269.80 रुपए चल रहा है और एक निचले छोर का जिसका भाव 11.98 रुपए है। ए ग्रुप में मेरे लिहाज से सबसे संभावनामय स्टॉक्स हैं – सेंचुरी टेक्सटाइल्स, बॉम्बे डाईंग, एचडीआईएल, आईएफसीआई, आईडीबीआई बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल), एस्सार ऑयल और हिंदुस्तान ऑयल एक्सप्लोरेशन। संजीवनी पैरेंटल्स छुपा रुस्तम है जो कभी भी धमाल कर सकता है। साल 2011 के लिए सारे स्टॉक मैं आपके सामने पेश कर रहा हूं।

आप सभी को नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं। आपसे बस इतनी-सी गुजारिश है कि 2011 में आप जब भी कोई शेयर खरीदें तो पहले उसके बारे में कहीं से कहीं से रिसर्च रिपोर्ट जरूर पढ़ लें। चाहे यह रिपोर्ट हमारी हो या किसी और की। कानोंकान सुनी बातों के आधार पर कभी निवेश न करें। पहले कंपनी का पूरा कच्चा-चिट्ठा जान लें, अपने जोखिम के स्तर का आकलन करें और तब अपनी गाढ़ी पूंजी शेयर बाजार में लगाएं। आपका चयन बहुत मायने रखता है।

हम असलियत में क्या हैं, इसे हमारी क्षमता से कहीं ज्यादा यह बात दर्शाती है कि हम चयन क्या करते हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ हैलेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

3 Comments

  1. sir, you told me sesa goa is a good stock but i do not sea last april 2010

  2. ब्रशमैन का क्या करें , रखें या बेचें …

  3. कृष्णा जी, सेसा गोवा पर वेदांता द्वारा केअर्न के अधिग्रहण का दबाव है। वरना, यह शेयर लंबी रेस का घोड़ा है। और, प्रभात जी, मेरी व्यक्तिगत राय है कि ब्रशमैन चूंकि कायाकल्प से जुड़ी कंपनी है, इसलिए जब तक इसमें बड़ा खेल नहीं होता, यानी कोई कंपनी (मसलन, एशियन पेंट्स) इसका अधिग्रहण नहीं करती, तब तक इसे होल्ड करके रखना चाहिए। घाटे पर बेचने का क्या फायदा?

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