प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वीकार किया है कि देश के कुछ श्रम कानून ऐसे हैं जिन्होंने अपेक्षित नतीजे नहीं दिए हैं। ऐसे कानूनों ने रोजगार के विकास को चोट पहुंचाई है। आज जरूरत है कि हम इन कानूनों की समीक्षा करें। प्रधानमंत्री ने मंगलवार को राजधानी दिल्ली में 43वें भारतीय श्रम सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा, “हमने आजादी के बाद से कई प्रगतिशील श्रम कानून बनाए हैं और उससे पहले भी देश में कुछ कानून थे। लेकिन ऐसा लगता है कि इनमें से सभी वैसे अपेक्षित अच्छे प्रभाव नहीं हासिल कर सके हैं, जिन्हें हम जमीनी स्तर पर पाना चाहते थे।” रोजगार के विकास को बाधित करनेवाले श्रम कानूनों को बदला जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने इसी समारोह में यह भी कहा कि उनकी सरकार महंगाई को थामने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है और इसमें जल्द सफलता मिलने की उम्मीद है। उनका कहना था, ‘‘मेरी सरकार महंगाई को कम करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। हमारे सामने समस्याएं हैं, लेकिन हम इससे पार पा लेंगे।’’ थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर गत 6 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 10.30 फीसदी पर आ गई थी। एक सप्ताह पहले के मुकाबले इसमें दो फीसदी अंक की गिरावट दर्ज की गई। इससे एक सप्ताह पहले यह 12.30 फीसदी पर थी। अक्टूबर माह में कुल मुद्रास्फीति की दर 8.58 फीसदी रही है।
श्रमिक संघों की तरफ से आवश्यक वस्तुओं की मूल्यवृद्धि को लेकर चिंता जताए जाने को लेकर प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी सरकार महंगाई को काबू में करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार आम आदमी को ध्यान में रखते हुए आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। गरीबी, बेरोजगारी और विकास की धीमी गति जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए सालाना आधार पर निरंतर 9 से 10 फीसदी की आर्थिक वृद्धि को बनाये रखना जरूरी है।
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