देश में कुल डीमैट खातों की संख्या करीब 1.7 करोड़ है। लेकिन फेसबुक, ऑरकुट या ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों से जुड़े लोगों की संख्या 3.1 करोड़ पर पहुंच चुकी है। इस तरह शेयर बाजार से जुड़े लोगों से करीब दोगुने लोग सोशल नेटवर्किंग साइटों से जुड़ चुके हैं।
ब्रोकर फर्म एमएमसी कैपिटल्स के इक्विटी प्रमुख जगन्नाधम तुनगुंटला का कहना है कि देश में सोशल नेटवर्किंग साइटों का आधार इतना बढ़ना वाकई आश्चर्यजनक है और ऐसा महज पिछले तीन सालों में हुआ है। उनका कहना है कि जहां डीमैट खातों में हर महीने करीब दो लाख का इजाफा होता है, वहीं हम महीने 2 करोड़ नए मोबाइल कनेक्शन लिए जा रहे हैं। यानी डीमैट खातों की संख्या से 100 गुना लोग मोबाइल से जुड़ रहे हैं।
उनका कहना है कि इससे साफ हो जाता है कि आम भारतीय उपभोक्ता तो बन गया है, लेकिन वह अभी तक निवेशक नहीं बन पाया है। दिक्कत यह है कि हम निवेश की आदत को नीचे लोगों तक नहीं पहुचा पा रहे हैं। नहीं तो आम भारतीय तकनीक अपनाने के मामले में किसी से पीछे नहीं है। हमारी 60 फीसदी आबादी की उम्र 30 साल के कम है। यही तबका सोशल नेटवर्किंग साइटों से ज्यादा जुड़ रहा है। इसे चाहें तो हम निवेश की संस्कृति, इक्विटी कल्चर से जोड़ सकते हैं और तब डीमैट खातों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है।