केंद्र द्वारा प्रायोजित सारी स्कीमों का सोशल ऑडिट अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत श्रमिकों का वेतन बढ़ा दिया जाए। वक्त की मांग है कि वित्तीय समावेश, सबको शामिल करनेवाले विकास और महिलाओं व लड़कियों के बीच नेतृत्व क्षमता को प्रोत्साहित किया जाए। ये कुछ सुझाव हैं जो विभिन्न सामाजिक संगठनों ने मंगलवार को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और उनके अमले के साथ हुई बजट-पूर्व बैठक में उठाए।
वित्त मंत्री श्री मुखर्जी ने कहा है कि देश के विकास की रणनीति लोगों को अच्छा स्वास्थ्य, शिक्षा और हुनर देने पर केन्द्रित है। भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति की संक्षिप्त जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि 2008 के वैश्विक संकट से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कमी आई और मुद्रास्फीति बढ़ गई। लेकिन उसके बाद भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौट आयी है। इधर यूरो ज़ोन के संकट के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर फिर से असर पड़ा। परिणामस्वरूप घरेलू अर्थव्यवस्था की विकास संभावनाओं को कम करना पड़ा है।
वित्त मंत्री ने कहा कि राजस्व में कमी और बढ़ते व्यय के कारण राजकोषीय घाटा लक्ष्य से ज्यादा हो रहा है। लेकिन सरकार इसे लक्ष्य के करीब रखने के लिए भरपूर प्रयास कर रही है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में कई बार परिवर्तन करना पड़ा। सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी तरफ से विकास के कामों में ज्यादा पारदर्शिता की बात रखी। पंचायत स्तर पर बुनियादी सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर बेहतर समन्वय के लिए सामुदायिक रेडियो की स्थापना होनी चाहिए।