पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी शेयर बाजार के सौदों पर नजर रखने के लिए नवीनतम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने लगी है। साथ ही वह अपने निगरानी विभाग में ऐसा सॉफ्टवेयर टूल लगा रही है जिससे फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर शेयरों को लेकर पेश की गई सूचनाओं व टिप्स का विश्लेषण किया जाएगा।
समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट के मुताबिक सेबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उसे बताया कि नया सॉफ्टवेयर फेसबुक व ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों के अलावा विभिन्न ब्लॉगों का भी विश्लेषण कर सेबी को जांच में मदद करेगा। हाल ही में कई ऐसे ब्लॉग बनाए गए हैं जिन पर सदस्यों द्वारा शेयर बाजार में रुख पर चर्चा की जाती है और कई मामलों में तो शेयरों की खरीद-फरोख्त के लिए टिप्स भी दी जाती है।
उन्होंने कहा कि फेसबुक और ट्विटर पर इस तरह की चर्चाओं की भरमार है और आशंका है कि कुछ शरारती तत्व बाजार में कृत्रिम उतार-चढ़ाव लाने के लिए इस तरह के मंचों का इस्तेमाल कर सकते हैं। अधिकारी ने बताया कि सेबी इस नए साफ्टवेयर का इस्तेमाल स्टॉक एक्सचेंजों, डिपॉजिटरी व बैंकों आदि से मिलनेवाले आंकड़ों का विश्लेषण करने में भी कर सकती है।
उन्होंने बताया कि नए सॉफ्टवेयर को सेबी के डाटा वेयरहाउसिंग एंड बिजनेस इंटेलिजेंस सिस्टम (डीडब्ल्यूबीआईएस) के साथ एकीकृत किया जाएगा। सेबी इस सिस्टम का इस्तेमाल विभिन्न जांचों में व्यापक तौर पर करती है। लेकिन बाजार के एक जानकार ने बताया कि सेबी को बाजार की हर हरकत पता रहती है। कई ऐसे निष्पक्ष स्रोत हैं जो सार्वजनिक तौर बाजार में शेयर भावों के साथ हुई धांधली को बराबर उजागर करते रहते हैं।
उनके मुताबिक, ऐसे में नया सॉफ्टवेयर लगाने की बात बस दिखाने भर को है। वह चाहे तो आज भी सबसे पहले गलत तत्वों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। लेकिन उसके लिए मंशा का होना जरूरी है और मंशा के लिए निष्पक्षता आवश्यक है। और, ये आश्वयक शर्तें सेबी का तंत्र पूरा नहीं करता। उन्होंने अपना नाम न जाहिर करते हुए बताया कि सेबी ही नहीं, बीमा नियामक संस्था – इरडा भी उद्योग के साथ मिलीभगत से काम करती है। वे निवेशकों या पॉलिसीधारकों के हितों की हिफाजत के बजाय उद्योग के हितों के मध्यस्थ का काम करती हैं।