केन्द्रीय कपडा मंत्री दयानिधि मारन भी 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट की निगाह में आ गए हैं। कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच कर रही एजेंसी, सीबीआई ने 71 पेज की एक नई रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है।
इसमें कहा गया है कि वर्ष 2004 से 2007 के दौरान जब मारन दूरसंचार मंत्री थे, उस समय एयरसेल के प्रवर्तक सी शिवशंकरन पर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी मलयेशिया के मैक्सिस समूह को बेचने के लिये दबाव डाला गया। वरिष्ठ वकील के के वेणुगोपाल ने कोर्ट में जी एस सिंघवी और ए के गांगुली की पीठ के समक्ष स्थिति रिपोर्ट को पढ़ा। हालांकि, उन्होंने मारन का नाम नहीं लिया लेकिन कहा कि चेन्नई के इस व्यावसायी को दो साल तक मोबाइल सेवा शुरू करने का लाइसेंस नहीं दिया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मारन ने मलयेशियाई कंपनी का पक्ष लिया। दिसंबर 2006 में जब मलयेशियाई कंपनी ने एयरसेल का अधिग्रहण कर लिय, उसके बाद मलयेशियाई कंपनी को मात्र छह महीने के भीतर 2जी सेवा के लाइसेंस दे दिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख मुकर्रर की है।
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2004 से लेकर मई 2007 तक मारन दूरसंचार मंत्री के पद पर थे। सीबीआई के वकील वेणुगोपाल ने स्थिति रिपोर्ट को पढते हुए कहा, ‘‘एयरसेल का प्रवर्तक लाइसेंस के लिए दर-दर भटकता रहा। लेकिन उन्हें अपने शेयर मलयेशियाई कंपनी को बेचने पर मजबूर कर दिया गया।’’
इससे पहले एक गैर सरकारी संगठन एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशन, ने सुप्रीम कोर्ट के सामने ऐसे दस्तावेज पेश किए थे जिनमें मारन पर मलयेशिया की दूरसंचार कंपनी मैक्सिस समूह का पक्ष लेने के आरोपों को साबित किया गया था। इसी मलयेशियाई कंपनी ने चेन्नई स्थित एयरसेल को खरीदा था।