सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) और उसके सचिव को किसी दूसरे की खातिर जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करने के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया है। साथ ही एनजीओ पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। यह मामला एनजीओ द्वारा सुप्रीम कोर्ट व गुजरात हाईकोर्ट में स्टील लॉबी की तरफ से पीआईएल दाखिल करने का है।
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एस एच कापड़िया की अध्यक्षता वाली पीठ ने कल्याणेश्वरी नामक गैर सरकारी संगठन पर एक लाख रूपए का जुर्माना लगाया और उसके सचिव डी के शर्मा को सजा सुनाई कि वह पीठ की कार्यवाही चलते तक अदालत कक्ष में उपस्थित रहें।
पीठ में न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार भी हैं। पीठ ने कहा कि उसकी कार्यवाही पूरी होने के बाद शर्मा सुप्रीम कोर्ट के पंजीयक के कार्यालय में तब तक रहेंगे जब तक दिन भर का काम पूरा नहीं हो जाता।
गैर सरकारी संगठन ने यह कहते हुए देश में एस्बेस्टस पर प्रतिबंध लगाने के लिए स्टील लॉबी की ओर से एक जनहित याचिका दायर की थी कि इससे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर खतरा होता है।