सुप्रीम कोर्ट ने देश में अगले आठ हफ्तों तक विवादास्पद कीटनाशक एंडोसल्फान के उत्पादन, ब्रिकी व इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। उसका कहना है कि मानव जीवन इस दुनिया में किसी भी चीज से ज्यादा महत्वपूर्ण है। शुक्रवार को इस मसले पर गौर कर रही प्रधान न्यायाधीश एस एच कापडिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत इस अदालत के विभिन्न फैसलों और खासकर सतर्कता सिद्धांतों के मद्देनजर, हम, पूरे भारत में एंडोसल्फान के उत्पादन व इस्तेमाल पर रोक का अंतरिम आदेश जारी कर रहे हैं।”
पीठ ने तमाम सरकारी प्रतिष्ठानों को यह भी आदेश दिया कि इस विवादास्पद कीटनाशक के उत्पादन के लिए कंपनियों को दिया गया लाइसेंस अगले आदेश तक स्थगित या फ्रीज कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह अंतरिम आदेश वाम दल सीपीए की युवा इकाई डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) की तरफ से दायर याचिका पर सुनाया है। डीवाईएफआई ने अपनी याचिका में अदालत से एंडोसल्फान को मौजूदा रूप में या बाजार में किसी अन्य रूप में बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।
डीवाईएफआई ने दलील दी कि एक बड़ा तबका एंडोसल्फान के इस्तेमाल से सीधे प्रभावित हुआ है। दुनिया के 81 देशों में इस पर पहले ही प्रतिबंध लग चुका है जबकि अन्य 12 देशों ने इस पर रोक नहीं लगाई है। विभिन्न अध्ययनों में यह बात सामने आई कि एंडोसल्फान मानव विकास को भी प्रभावित कर सकता है। युवा संगठन ने इस संबंध में केरल के कसारगोड जिले में स्वास्थ्य को हुए गंभीर नुकसान का उदाहरण दिया। उसने बताया कि एंडोसल्फान एकमात्र ऐसा कीटनाशक है जिसका इस्तेमाल 20 साल से कसारगोड में काजू की खेती में किया जा रहा है और इससे वहां पर्यावरण संक्रमित हुआ है।
इस मामले की सुनवाई कर रही तीन सदस्यीय पीठ के बाकी दो सदस्य हैं – न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार। इस मसले पर जानेमाने विधिवेत्ता और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी आर कृष्ण अय्यर का कहना है कि यह शर्मनाक और हैरत में डालने वाली बात है कि भारत एंडोसल्फान का सबसे बड़ा उपभोक्ता है जबकि यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड समेत 81 देशों ने अपने यहां इस कीटनाशक पर पाबंदी लगा रखी है।