कैबिनेट ने सार्वजनिक क्षेत्र की स्टील कंपनी सेल (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) के लिए 55,000 करोड़ रुपए की निवेश योजनाओं को मंजूर कर लिया। इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा संसद में बताते हैं कि सेल ने झारखंड में अपनी चिरिया लौह अयस्क खदानों के आधुनिकीकरण के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं। खुद सेल के चेयरमैन सी एस वर्मा बता रहे हैं कि कंपनी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मोजाम्बिक व कोलंबिया तक में लौह अयस्क खदानें खरीदने की कोशिश में है। लेकिन सेल का शेयर गिरता ही जा रहा है।
शुक्रवार, 5 अगस्त को कैबिनेट ने सिंदरी में फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के मार्च 2002 से बंद पड़े संयंत्र में जान डालने का काम सेल को सौंप दिया। सेल को कारखाने की पूरी 6626.6 एकड़ जमीन यूं ही मिल गई, जहां वह प्राकृतिक गैस से बननेवाला यूरिया संयंत्र, नया इस्पात संयंत्र और कोयला या गैस आधारित बिजली संयंत्र लगाएगी। संयंत्र से बची बिजली वह दूसरों को बेच देगी। इन तीन संयंत्रों को सेल की तीन सब्सिडियरी इकाइयां देखेंगी। शुरुआती अनुमान करीब 35,000 करोड़ रुपए के निवेश का था। लेकिन सेल के चेयरमैन सी एस वर्मा का आकलन है कि कुल निवेश करीब 55,000 करोड़ रुपए का होगा।
कैबिनेट का यह फैसला देश में क्षमता के लिहाज से हाल ही में दूसरे नंबर पर खिसकी कंपनी के फौलादी भविष्य का खासा पेश करती है। असल में इस्पात इंडस्ट्रीज के अधिग्रहण के बाद सज्जन जिंदल की जेएसडब्ल्यू स्टील देश की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है। लेकिन नोट करने की बात यह है कि जहां लक्ष्मी मित्तल के आर्सेलर मित्तल से लेकर दक्षिण कोरिया की पोस्को और जिंदल व टाटा स्टील को जमीन के लिए सालों इंतजार व तमाम विरोधों का सामना करना पड़ता है, वहीं सेल को झारखंड में 6626.6 एकड़ जमीन यूं ही चुटकी बजाकर मिल गई।
इस सकारात्मक खबर के बावजूद 5 अगस्त को सेल का शेयर (बीएसई – 500113, एनएसई – SAIL) 112.25 रुपए तक जा गिरा जो उसका 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर था। सोमवार 8 अगस्त को उसने 107 रुपए और कल 9 अगस्त को 103 रुपए पर नई तलहटी बना डाली। क्या सचमुच यह इतनी कमजोर कंपनी है कि इससे शेयर को इतना पिटना ही था? शायद नहीं।
कुछ लोग अभी तक की स्थिति के आधार पर जरूर कह सकते हैं कि सेल का शेयर अपनी समकक्ष कंपनियों से महंगा है। असल में समेकित नतीजों के आधार पर सेल का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 11.95 रुपए है। इस आधार पर उसका शेयर अभी 9.1 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि जेएसडब्ल्यू स्टील 7.8, टाटा स्टील 7.7 और भूषण स्टील का शेयर 7.3 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। यही नहीं, सेल के जून 2011 तिमाही के नतीजे भी बुरे रहे हैं। इस दौरान उसकी बिक्री तो 19.73 फीसदी बढ़ी है, लेकिन शुद्ध लाभ 28.78 फीसदी घट गया है। 29 जुलाई, शुक्रवार को ये नतीजे आए और सोमवार, 1 अगस्त को बाजार खुलने पर सेल का शेयर गोता लगाने लगा।
क्या भारत सरकार की महारत्न कंपनी सेल में अभी निवेश करना वाजिब होगा या इसके आनेवाले एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) का इंतजार किया जाए क्योंकि सरकार अमूमन एफपीओ में कंपनी के शेयर बाजार मूल्य से कम और रिटेल निवेशकों को इससे भी कम पर देती हैं। सेल के चेयरमैन सी एस वर्मा के मुताबिक बाजार के हालात और शेयर के गिरे हुए भावों को देखते हुए एफपीओ को फिलहाल रोक लिया गया है। आएगा जरूर, लेकिन दिसंबर वगैरह तक बाजार की हालत सुधरने पर। वैसे भी, कंपनी को धन की इतनी किल्लत नहीं हैं कि उसे औने-पौने दाम पर अपने शेयर बेचने पड़ें।
हालांकि, यह भी तथ्य है कि लेहमान संकट के बाद सेल का शेयर नवंबर 2008 में 55.25 रुपए तक चला गया था। क्या इस बार का वैश्विक संकट वही इतिहास नहीं दोहराएगा? हो सकता है। जिस तरह ए ग्रुप के इस शेयर की कायदे से धुनाई चल रही है, उसमें इसके जल्दी ही 90-95 रुपए तक पहुंच जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन मेरी राय में इसे अभी से थोड़ा-थोड़ा करके एसआईपी (सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान) के अंदाज में खरीदा जा सकता है।
कंपनी की इक्विटी 4130.40 करोड़ रुपए है जो दस रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में बंटी है। इसका 85.82 फीसदी हिस्सा अभी सरकार के पास है। एफआईआई ने इसके 4.06 फीसदी और डीआईआई ने 7.52 फीसदी शेयर ले रखे हैं। संस्थागत निवेशकों के इन दोनों ही वर्गों से मार्च से जून 2011 के बीच कंपनी में अपना निवेश घटाया है। बाकी सचमुच की पब्लिक के पास कंपनी के केवल 2.60 फीसदी शेयर हैं। इसे निश्चित रूप से बढ़ना चाहिए। पब्लिक सेक्टर की कंपनी में पब्लिक का निवेश नहीं बढ़ेगा तो किसका बढ़ेगा? यह शेयर पिछले पांच साल के दौरान ऊपर में 293 रुपए तक जा चुका है। इसलिए लंबे निवेश की सोचवालों के लिए इसमें निश्चिंत होकर निवेश करते रहना चाहिए। अभी के माहौल को देखते-देखते हुए एसआईपी के अंदाज में।
चलते-चलते यूं ही प्रसंगवश बता दूं कि आज से करीब 15 साल पहले 1996 में मैंने बलिया के एक चौबे जी को यह शेयर खरीदने की सलाह दी थी। तब यह 6-8 रुपए के आसपास था। उस समय चौबे जी को पहली बेटी हुई थी। संयोग से उनके पास कहीं से 15 हजार रुपए आ गए थे। मैंने कहा था कि चौबे जी! सेल के 2000 शेयर खरीद लो। बेटी की शादी के काम आएंगे। चौबे जी पढ़े-लिखे समझदार थे। इकनॉमिक्स से आईएएस की परीक्षा दे चुके थे। बोले – इतना ज्यादा इक्विटी वाली कंपनी कहीं खुद ही न डूब जाए। सेल के शेयर की जब भी चर्चा होती है, मुझे चौबे जी की याद आ जाती है। सुना है कि मरी-गिरी हालत में कहीं किसी की चाकरी कर रहे हैं। ईश्वर उन्हें भरपूर साहस, सद्बुद्धि और सौभाग्य दे, यही कामना है।