होगी हरकत बाजार की लय तोड़ने की

अमेरिका ने संकट पैदा किया था और अमेरिका ही इलाज कर रहा है। वहां के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने तय किया है कि वह कम से कम दो साल तक ब्याज दरों को शून्य के आसपास बनाए रखेगा। दूसरे, तीसरी क्वांटिटेटिव ईजिंग (क्यूई-3) के आसार बढ़ गए हैं। इन दोनों ही चीजों ने अमेरिका समेत दुनिया भर के बाजारों में राहत का भाव भर दिया। सो दुनिया के बाजार बढ़े तो भारतीय बाजार भी बढ़ गया। निफ्टी आज 1.74 फीसदी बढ़कर 5161 पर और सेंसेक्स 1.62 फीसदी बढ़कर 17,130.51 पर बंद हुआ। प्री-ओपन सत्र में बढ़त 2.44 फीसदी की थी।

असल में बाजार बहुत ही ज्यादा ओवरसोल्ड स्थिति में है। फिर भी मंदडिए बाजार की लय को तोड़ने की हरचंद कोशिश से बाज नहीं आएंगे। नीचे की तरफ 5090 और 5060 पर प्रतिरोध के मजबूत स्तर है। लेकिन अगर यह स्तर किसी वजह से टूट गया तो निफ्टी 4920 तक जा सकता है। इससे नीचे जाने की फिलहाल मुझे गुंजाइश नहीं दिखती। इस बीच पता चला है कि कुछ एफआईआई और नंबर-एक निवेश सलाहकार फर्म, सीएलएसए भारत में 25 से 30 अरब डॉलर का विदेशी निवेश लाने की तैयारी में हैं।

लंदन में फैली अशांति और दंगे विदेशी निवेशकों को भारत का रुख करने की एक और वजह दे रहे हैं। यह फसाद यूरोप तक फैलकर उसकी आर्थिक स्थिति को और बिगाड़ सकता है। इसलिए भारत फिलहाल हर किसी का गंतव्य बन गया है।

जो स्टॉक्स बहुत महंगे हैं या जिनमें काफी खरीद हो चुकी है, उनसे बचना चाहिए। मेरे लिहाज से इस समय आकर्षण क्षेत्र ऑटो, सीमेंट और बैंकिंग ही हैं। हालांकि मेटल भी उतना बुरा नहीं दिख रहा। कंपनियों की बात करें तो बी ग्रुप के मजबूत शेयरों में खरीद बढ़ाई जा सकती है क्योंकि अब पक्के आसार हैं कि दिसंबर 2012 तक सेंसेक्स 30,000 तक पहुंचने की कोशिश करेगा या यूं कहें कि पहुंच ही जाएगा।

हां, एक बात फिर दोहरा दें कि हम यहां पर निवेश की जो भी सलाह देते हैं, उसे आपको खुद अपने स्तर पर ठोंक-बजाकर अच्छी तरह देख लेना चाहिए। ये कोई दुकान नहीं, जहां भूल-चूक लेनी-देनी चलती है। यहां हम आपको हर दिन शेयर बाजार की हकीकत से वाकिफ कराने की कोशिश कर रहे हैं ताकि आप अपने फैसले खुद ले सकें। अपने हिसाब से तथ्यों को विश्लेषित करें और अपनी रिसर्च के आधार पर ही निवेश के फैसले करें क्योंकि यही सही तरीका है। दूसरों के हाथ से निवाला बच्चे खाते हैं, बड़े नहीं। और, आप तो बड़े हो चुके हैं। क्या इसमें भी किसी शक की गुंजाइश है!!

परदेश जाने पर मौसम बदल जाता है। लेकिन हमारी आत्मा नहीं बदलती, संस्कार नहीं बदलते।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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