अभी रिलायंस समूह के दोनों धड़ों में 23 मई को नो-कम्पीट करार के खात्मे की घोषणा को महीने भर भी नहीं बीते हैं कि मुकेश अंबानी ने बड़े पैमाने पर दूरसंचार सेवाओं में उतरने का एलान कर दिया। शुरुआत ब्रॉडबैंड सेवाओं से होगी। मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने देश के 22 सर्किलों में ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस (बीडब्ल्यूए) स्पेक्ट्रम लाइसेंस जीतनेवाली इकलौती कंपनी इनफोटेल ब्रॉडबैंड की 95 फीसदी इक्विटी खरीदकर उसे अपनी सब्सिडियरी बना लिया है। इसके लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज पूरे 4800 करोड़ रुपए देगी।
रिलायंस इंडस्ट्रीज की आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया है कि ये 4800 करोड़ रुपए इनफोटेल ब्रॉडबैंड सर्विसेज (प्रा.) लिमिटेड की तरफ से जारी नई इक्विटी में लगाए जाएंगे। बता दें कि आज ही बीडब्ल्यूए स्पेक्ट्रम के लिए 16 दिनों तक चली नीलामी खत्म हुई है जिससे सरकार को 38,300 करोड़ रुपए मिलेंगे। इसमें 12,848 करोड़ रुपए की बोली जीतकर इनफोटेल ब्रॉडबैंड ने 22 सर्किलों का लाइसेंस हासिल कर लिया है। उसकी इस कामयाबी के चंद घंटे बाद ही रिलांयस इंडस्ट्रीज ने उसे ही खरीदने की घोषणा कर दी।
इस फैसले पर मुकेश अंबानी का कहना है, “हम इसे वायरलेस ब्रॉडबैंड सेवाओं को मूल्य सृजन के मौके की नई लहर के रूप में देख रहे हैं। हम मानते हैं कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था को ऊंची छलांग मारकर बहुत तेज गति से डिजिटल जगत में ले जाएगी। इससे अगली पीढ़ी के ऐसे साधन पैदा होंगे जो उत्पादकता को बढ़ाने के साथ ही उपभोक्ताओं के लिए विश्वस्तरीय अनुभव पेश करेंगे।” रिलायंस की विज्ञप्ति में कहा गया है कि कंपनी की यह पहल गांवों से लेकर शहरों तक में वायरलेस ब्रॉडबैंड सेवाओं में क्रांति ला देगी। इससे उद्योग व व्यापार के साथ-साथ सामाजिक संगठनों, स्वास्थ्य व शिक्षा संस्थाओं और उपभोक्ताओं को बेहद उपयोगी सेवाएं मिलेंगी।
दिलचस्प बात यह है कि इधर बड़े भाई की तरफ से ब्रॉडबैंड सेवाओं में बड़े पैमाने पर उतरने का एलान हो रहा था, उधर छोटी भाई अनिल अंबानी की टेलिकॉम कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस की तरफ से एक बयान जारी किया गया कि वो तो वायरलेस ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम की नीलामी से हफ्ते भर पहले ही कदम पीछे खींच चुकी है क्योंकि ‘बोलियों की कीमत उसके बुनियादी अनुमान से बहुत ज्यादा’ है। कंपनी सीडीएमए नेटवर्क और 3जी सेवाओं के जरिए ही वायरलेस ब्रॉडबैंड सेवाएं चलाने पर जोर देगी। जानकारों के मुताबिक यह सब कहने की बातें हैं। असल बात यह है कि मुकेश भाई के आने के बाद अनिल ने खुद ही उनके लिए रास्ता साफ करने का फैसला कर लिया है।
बता दें कि रिलायंस ने जिस इनफोटेल ब्रॉडबैंड सर्विसेज (प्रा.) लिमिटेड को खरीदा है, वह हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित उद्योगपति महेंद्र नाहाटा के बेटे अनंत नाहाटा की कंपनी एचएफसीएल इनफोटेल की अलग इकाई है। हिमाचल फ्चूयरिस्टिक (एचएफसीएल) एक समय में बहुत तेजी से बढ़ती हुई कंपनी रही है। लेकिन सुखराम के टेलिकॉम घोटाले में नाम आने के बाद यह थोड़ी ठंड़ी पड़ गई। आज एचएफसीएल और एचएफसीएल इनफोटेल दोनों ही कंपनियों के शेयर बीएसई में सर्किट लिमिट पर जाकर क्रमशः 11.39 रुपए और 10.14 रुपए पर बंद हुए।
अर्थ डोट कॉम पर आया काफी अच्छा संग्रह और उपयोगी जानकारी पढने लायक लगी लेकिन यहाँ एक समस्या की बजह से मैं जायदा देर नहीं रुक पाया क्यों की जब मैं किसी एक लेख को पूरा पढने के लिए खोलता तो अन्य लेख उस पर आते जाते दिखाई दे रहे है..
आशा आप इस समस्या को दूर कर मुझे सूचित करेंगे !!
संजय सेन सागर
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