मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई क़ुरैशी का मानना है कि देश में निर्वाचित सांसदों को वापस बुलाने के अधिकार पर अमल संभव नहीं है। बता दें कि हाल ही में गांधीवादी कार्यकर्ता अण्णा हज़ारे ने मांग की थी कि चुने हुए जन प्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार जनता को मिलना चाहिए। इससे पहले 1974 में जयप्रकाश आंदोलन के दौरान भी जन प्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार की मांग उठ चुकी है। मध्य प्रदेश में करीब एक दशक से स्थानीय निकायों में चुने हुए प्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार मिला हुआ है।
बुधवार को दिल्ली में भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के दीक्षांत समारोह में पत्रकारों से अलग से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा है कि निर्वाचित सांसदों को वापस बुलाने के अधिकार पर अण्णा हज़ारे का सुझाव अव्यावहारिक है। उनका कहना था कि ऐसे क़दम से पूरी व्यवस्था अस्थिर हो जाएगी। भारत जैसे बड़े देश में सांसदों को वापस बुलाने का अधिकार अव्यावहारिक है। उन्होंने कहा कि ऐसे देश में यह व्यवस्था आसान नहीं, जहां उम्मीदवारों को लाखों लोग मत वोट देते हैं।
एस वाई क़ुरैशी ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो देश में लगातार चुनाव होते रहेंगे और पूरी व्यवस्था अस्थिर हो जाएगी। उनका कहना था कि इसके बजाय चुनाव प्रणाली को साफ-सुधरा बनाने पर जो दिया जाना चाहिए। अपराधियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगनी चाहिए और ज्यादा से ज्यादा लोगों को योग्य व श्रेष्ठ प्रत्याशियों को वोट देना चाहिए।
उन्होंने अण्णा के नापसंदी के अधिकार की मांग को भी कठिन करार दिया है। उन्होंने कहा कि जनता को उम्मीदवारों को खारिज करने का अधिकार देना बड़ा ‘कठिन काम’ है। बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने पहले कहा था कि इस मसले पर थोड़ा बहस की दरकार है क्योंकि ऐसी स्थिति भी आ सकती है जब लोग बहुमत से सारे उम्मीदवारों को खारिज कर दें। तब क्या होगा, इस पर सोच-विचार जरूरी है।