रीको ऑटो में अगस्त का ज्वार-भाटा

रीको ऑटो इंडस्ट्रीज दोपहिया से लेकर चार-पहिया वाहनों के कंपोनेंट बनानेवाली बड़ी कंपनी है। कितनी बड़ी, इसका अंदाजा कंपनी के धारुहेड़ा, मानेसर व गुड़गांव के संयंत्रों को देखकर लगाया जा सकता है। हीरो मोटोकॉर्प से लेकर मारुति तक की बड़ी सप्लायर है। आज से नहीं, करीब पच्चीस सालों से। लेकिन 2006 से ही उसके सितारे गर्दिश में हैं। पहले मजदूरों की 56 दिन लंबी हड़ताल हुई। फिर दुनिया के वित्तीय संकट ने भारत को आर्थिक सुस्ती में धकेल दिया। लेकिन अब रीको ऑटो का धंधा पटरी पर आता नजर आ रहा है।

वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी की बिक्री 28.51 फीसदी बढ़कर 976.74 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 336.74 फीसदी बढ़कर 26.51 करोड़ रुपए हो गया। अभी 11 अगस्त को घोषित नतीजों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2011-12 की पहली तिमाही में भी उसकी ब्रिकी 14.59 फीसदी बढ़कर 260.71 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 135.16 फीसदी बढ़कर 2.14 करोड़ रुपए हो गया है। लेकिन मुनाफे में इस तरह की दोगुनी-तिगुनी बढ़त के बावजूद रीको ऑटो का शेयर (बीएसई – 520008, एनएसई – RICIAUTO) ठंडा ही नहीं पड़ा, बल्कि गिरता ही जा रहा है।

इसका एक रुपए अंकित मूल्य का शेयर इस साल जनवरी महीने में 22.60 रुपए पर था। इसका उच्चतम भाव फरवरी में 21.05, मार्च में 19.25, अप्रैल में 19.55, मई में 17.90, जून में 17.35, जुलाई में 15.90 और इस महीने अगस्त में अब तक 14.75 रुपए रहा है। यही नहीं, इस महीने 19 अगस्त, यानी बीते शुक्रवार को इसने बीएसई में 10.25 रुपए और एनएसई में 10.10 रुपए की नई तलहटी पकड़ ली। शुक्रवार को यह बीएसई में 6.38 फीसदी गिरकर 10.42 रुपए और एनएसई में 6.31 फीसदी गिरकर 10.40 रुपए पर बंद हुआ है। वैसे, अगस्त माह के साथ रीटो ऑटो के शेयर पर खास टांका नज़र आता है। पिछले साल इसी महीने की 24 तारीख को इसने 32.25 रुपए पर 52 हफ्तों का शिखर बनाया था।

वाकई समझ से परे है कि जब कोई कंपनी खराब दौर से निकल मजबूती के दौर में प्रवेश कर रही हो, तब उसके शेयर क्यों नहीं इस हकीकत का आईना बन पाते। आगे का नजरिया भी रीको ऑटो का अच्छा है। कंपनी प्रबंधन को उम्मीद है कि चालू साल में बिक्री कम से कम 20 फीसदी बढ़ेगी। इस समय कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 2.05 रुपए है। इस तरह उसका शेयर 5.07 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। कंपनी की प्रति शेयर बुक वैल्यू 23.63 रुपए है यानी बाजार भाव के दोगुने से ज्यादा।

कंपनी निश्चित रूप से विकास की डगर पकड़ चुकी है। ऑटो उद्योग की ऊंच-नीच के साथ थोड़ा बहुत इधर-उधर होता रहेगा। लेकिन रुख विकास का ही रहेगा। मगर, हाल-फिलहाल इसके शेयर का क्या हश्र होगा, इस बाबत कुछ भी नहीं कहा जा सकता। लंबे समय में इसको बढ़ना ही चाहिए क्योंकि कंपनी का आधार बहुत ठोस है। उसकी आय का 40 फीसदी हीरो मोटोकॉर्प, 15 फीसदी मारुति और 5-5 फीसदी होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर्स इंडिया (एचएमएसआई) और टाटा कुमिंस जैसी बड़ी कंपनियों से आता है। करीब 21 फीसदी धंधा वह विदेश से हासिल करती है। उसके विदेशी ग्राहकों में जनरल मोटर्,, कैटरपिलर, पर्किन्स, निस्सान, लैंड रोवर व जैगुआर (टाटा समूह) जैसी कंपनियां शामिल हैं।

कंपनी के पुराने संयंत्र धारुहेड़ा, मानेसर व गुड़गांव में हैं तो हरिद्वार में उसने हीरो मोटोकॉर्प और साणंद में (टाटा की नैनो) के लिए नए संयंत्र लगाए हैं। दक्षिण भारत में टोयोटा और हुंडई जैसे ग्राहकों को पकड़ने के लिए कंपनी ने करीब चार साल पहले से चेन्नई में 25 एकड़ जमीन खरीद रखी है। उसने विदेशी कंपनियों के साथ चार संयुक्त उद्यम भी बना रखे हैं। जापानी कंपनी के साथ एफसीसी रीको, कांटिनेंटल रीको हाइड्रोलिक ब्रेक्स इंडिया, चीनी कंपनी के साथ रीको जेनफेई और मैग्ना रीको पावरट्रेन।

चिंता की बात बस इतनी है कि कंपनी पर कर्ज का बोझ भारी है। उसका ऋण-इक्विटी अनुपात 1.38 का है। इक्विटी व रिजर्व को मिलाकर उसके पास 319.65 करोड़ रुपए हैं, जबकि कर्ज का बोझ करीब 441 करोड़ रुपए का है। वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी ने 51.77 करोड़ रुपए ब्याज के बतौर चुकाए थे। जून 2011 में भी उसने 14.75 करोड़ रुपए का ब्याज चुकाया है, जबकि शुद्ध लाभ 2.14 करोड़ रुपए का रहा है। ब्याज का बोझ न रहता तो कंपनी का शुद्ध लाभ 16.89 करोड़ रुपए होता!!!

कंपनी की कुल 13.53 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों का हिस्सा 50.10 फीसदी है। उन्होंने इसका 47.21 फीसदी हिस्सा (कंपनी की कुल इक्विटी का 23.65 फीसदी) गिरवी रखा हुआ है। कंपनी की 49.90 फीसदी इक्विटी पब्लिक के पास है। इसमें से एफआईआई के पास 0.04 फीसदी और डीआईआई के पास 1.00 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 54,931 है। इनमें से उसके दो बड़े शेयरधारक हैं – आशीष धवन, जिनके पास कंपनी के 5.08 फीसदी शेयर हैं और नेमिष एस शाह, जिनके पास 2.15 फीसदी शेयर हैं।

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