बचत खींचना है तो भरोसा जमाना है

बाजार में 800 अंकों के सुधार का मतलब यह नही है कि अंधेरा खत्म, मुसीबत टल गई। हम जैसे ही यह सोचते हैं कि सब कुछ पटरी पर आ गया है, उससे पहले ही बिकवाली का नया झोंका सब कुछ फिर से पटरा कर देता है। कल मैं एक बिनजेस चैनल पर कार्यक्रम देख रहा था जहां कुछ ज्ञानी लोग एक सर्वेक्षण पर बहस कर रहे थे जिसका निष्कर्ष यह था कि देश के 97 फीसदी लोग पूंजी बाजार में निवेश नहीं करना चाहते। इसकी वजहों पर सब अलग-अलग राय जाहिर कर रहे थे।

लेकिन मेरा मानना है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि लोगों ने बाजार में पूंजी गंवाई है, बाजार का सिस्टम जिस तरह काम करता है, उससे उनका भरोसा उठ चुका है। सरकार के आला अधिकारी मानें या न मानें, लेकिन अगर आम लोगों की बचत को पूंजी बाजार में खींचना है तो पूरे सिस्टम को नए सिरे से ढालना होगा। इसके लिए अगर लोग आवाज उठाएं तो उसका असर जरूर होगा।

खैर, मैंने आपको बताया था कि हाल में बनी निफ्टी में 5180 की तलहटी एक नया स्तर है और बजट तक अपना असर जारी रखेगी। अगर निफ्टी 5630 तक जाता है और 5700 के पार चला जाता है, तब बाजार तेजी की नई मंजिल की तरफ बढ़ सकता है। अगले गुरुवार तक अब रोलओवर का दौर चलेगा। इसलिए बाजार डेरिवेटिव सौदों की स्थिति के हिसाब से चलेगा। एनएसई में फिजिकल सेटलमेंट का न होना अपना असर दिखाता रहेगा। बजट के बाद भी मंदड़िये बाजार को तोड़कर 5185 तक लाने की पुरजोर कोशिश करेंगे। बजट खराब हुआ तो वे कामयाब भी हो सकते हैं। लेकिन अगर बजट अच्छा हुआ तो मार्च अंत तक बाजार 6200 तक पहुंच सकता है। उसके बाद निफ्टी साल के अंत तक 7000 की मंजिल हासिल कर लेगा।

सीबीआई की कार्रवाई, राजनीतिक अस्थिरता और कॉरपोरेट क्षेत्र की दिग्गज हस्तियों की परेशानी को पीछे छोड़ते हुए मिस्र व मुद्रास्फीति का मसला सुलझा लिया गया है। यह चीजें यहां से बाजार को आगे ले जाएंगी। प्रधानमंत्री के कहे मुताबिक बजट के बाद मंत्रिमंडल में भी कुछ फेरबदल होने हैं। क्या होता है, यह देखना वाकई दिलचस्प होगा। बजट का जोर कुछ ज्वलंत व ताजातरीन मसलों पर होगा, जैसे – विकास, कृषि क्षेत्र में सुधार, लालफीताशाही में कमी, कालेधन की समस्या से निपटना और अंततः संसद व न्यायपालिका में अवाम के खोये विश्वास को फिर से हासिस करना।

इस तिमाही में स्मॉल कैप कंपनियों ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन दिखाया है। यह साबित करता है कि निवेश की पूरी अलग दुनिया सेंसेक्स के बाहर पड़ी है।

जीवन में डरने को कुछ नहीं, समझने को बहुत कुछ है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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