महंगाई पर काबू पाने की कीमत सरकार अब किसानों से वसूलने जा रही है। खेती की लागत बढ़ने के बावजूद वह इस बार खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने नहीं जा रही है। धान का मूल्य किसानों को वही मिलेगा जो पिछले साल मिला था। जबकि दलहन के मूल्य में की गई वृद्धि नाकाफी है। जिंस बाजार में दलहन की जो कीमतें हैं, उसके मुकाबले सरकार ने एमएसपी लगभग एक तिहाई रखा है। सरकार के कदम का विपरीत असर खरीफ की खेती पर पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले दिनों दिसंबर तक मुद्रास्फीति की दर को पांच-छह फीसदी तक लाने का भरोसा दिलाया था। इसी के मद्देनजर एमएसपी में वृद्धि की उम्मीद नहीं है। समर्थन मूल्य तय करने के लिए गठित कृषि लागत व मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी हैं। इस पर संबंधित मंत्रालयों ने विचार कर लिया है। ज्यादातर राज्यों ने भी अपनी राय रख दी है। अब खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य के इस मसौदे पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मुहर लगनी है।
आयोग की सिफारिशों में धान के ‘ए’ ग्रेड का मूल्य 1030 रुपए और सामान्य धान का मूल्य 1000 रुपए प्रति क्विंटल है, जो पिछले खरीफ सीजन में किसानों के प्राप्त मूल्य के बराबर ही है। मक्के का समर्थन मूल्य 880 रुपए तय किया गया है, जबकि पिछले खरीफ सीजन में यह 840 रुपए था। सबसे अधिक हैरानी दलहन फसलों के समर्थन मूल्य को देखकर हो सकती है, जिसमें 400 से 500 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि तो की गई है। लेकिन एमएसपी पहले से ही इतना कम है कि इस वृद्धि का कोई मतलब नहीं रह जाता।
उदाहरण के लिए पिछले साल अरहर दाल घरेलू बाजार में एक सौ रुपये प्रति किलो बिकी, तब अरहर का एमएसपी एक तिहाई से भी कम, यानी 2300 रुपए प्रति क्विंटल था। चालू सीजन में अरहर दाल 80 रुपए किलो बिक रही है। सीएसीपी ने इसका समर्थन मूल्य 2800 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। मूंग का समर्थन मूल्य 2760 रुपए से बढ़ाकर 3170 रुपए और उड़द का 2520 रुपए से बढ़ाकर 2900 रुपए किया गया है। लेकिन इन बढ़े मूल्यों का कोई औचित्य नहीं है। खुले बाजार में मूंग व उड़द की दालें 70 रुपये प्रति किलो से नीचे नहीं है।
खाद्य तेलों की आयात निर्भरता लगातार बढ़ने के बावजूद खरीफ सीजन की प्रमुख तिलहन फसलों का एमएसपी मामूली तौर पर बढ़ाया गया है। मूंगफली का मूल्य 2100 रुपए से बढ़ाकर 2300 रुपए किया गया है। तिल के मूल्य 2850 रुपए में सिर्फ 50 रुपए की वृद्धि की गई है, जिसके लिए 2900 रुपए प्रति क्विंटल का मूल्य सुझाया गया है। कपास का मूल्य 3000 रुपए प्रति गांठ ज्यों का त्यों ही रखा गया है।