भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) और भारतीय प्रबंध संस्थानों (आईआईएम) के शिक्षकों को विश्वस्तरीय नहीं बताने की पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश की टिप्पणियों को आईआईएम के प्रोफेसरों ने आज ‘एकतरफा’ करार दिया। प्रोफेसरों ने कहा है कि ये टिप्पणियां अतिशय अज्ञानता का नतीजा हैं।
रमेश ने कल कहा था कि आईआईटी और आईआईएम के शिक्षक विश्वस्तरीय नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि ये संस्थान विद्यार्थियों की गुणवत्ता के कारण ‘उत्कृष्ट’ हैं। आईआईएम, अहमदाबाद के प्रोफेसर अनिल गुप्ता ने कहा, ‘‘यह दर्शाता है कि जयराम रमेश को इन संस्थानों की बौद्धिक क्षमता के बारे में काफी अज्ञानता है। मैं इस बात का खंडन करता हूं कि इन संस्थानों को काफी अधिक प्रयास करने की जरूरत है।’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि यह कहना भी गलत है कि शिक्षक योगदान नहीं दे रहे हैं।
गुप्ता ने कहा कि अगर विद्यार्थियों की गुणवत्ता ही मायने रखती है तो फिर लोगों को संयुक्त प्रवेश परीक्षा (कैट) के अंकों के आधार पर विद्यार्थियों को नौकरी दे देनी चाहिए। कंपनियां कैट के अंकों के आधार पर नौकरियां क्यों नहीं दे रहीं?
आईआईएम, अहमदाबाद के एक और प्रोफेसर सेबेस्टियन मॉरिस ने कहा कि रमेश की टिप्पणियां ‘एकतरफा’ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप गौर करें तो पाएंगे कि आईआईएम और आईआईटी के काफी शिक्षकों के पास उतनी ही शैक्षणिक योग्यता और पृष्ठभूमि है जितनी शीर्ष संस्थानों के शिक्षकों के पास हैं। यहां के शिक्षकों ने भी अपनी पीएचडी विदेश से की है।’’