रबी फसलों की बुवाई कहीं नमी की कमी से तो कहीं हाल की बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसी के चलते अभी तक रबी सीजन की बुवाई पिछले साल के मुकाबले अभी तक आधी भी नहीं हो पाई है। सबसे चिंताजनक स्थिति गेहूं बुवाई की है। इसका रकबा पिछले साल के मुकाबले सर्वाधिक 30 लाख हेक्टेयर तक पीछे है। बुवाई में विलंब होने से गेहूं की उत्पादकता पर विपरीत असर पडऩे का खतरा है। इसे लेकर कृषि मंत्रालय के माथे पर भी बल पड़ने लगे हैं।
मानसून की अच्छी बारिश के चलते भूमि में पर्याप्त नमी को लेकर कृषि वैज्ञानिक व सरकार बेहद खुश थे। उम्मीद थी कि रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई इस बार जल्दी हो जाएगी, जिससे उत्पादकता बढ़ेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गेहूं उत्पादक राज्यों – पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मानसून की अच्छी बारिश हुई थी। इससे वहां की भूमि में पर्याप्त नमी को देखते हुए बुवाई तेजी से शुरू तो हुई, लेकिन अचानक हुई बारिश ने उसे रोक दिया है। हरियाणा में गेहूं बुवाई ढाई लाख हेक्टेयर पीछे है, जबकि पंजाब में डेढ़ लाख हेक्टेयर।
इसके विपरीत पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ में पर्याप्त बारिश नहीं होने से खरीफ की फसलों पर विपरीत असर पड़ा था। जिससे खेतों में पलेवा (सिंचाई) करने के बाद ही बुवाई संभव हो पा रही है। परिणामस्वरूप यहां भूमि में नमी की कमी से बुवाई पिछड़ रही है। कहीं सूखा कहीं बारिश के बावजूद उत्तर प्रदेश में पिछले साल अब तक जहां 30 लाख हेक्टेयर भूमि में गेहूं बो दिया गया था, वहां अभी तक केवल नौ लाख हेक्टेयर में ही गेहूं की बुवाई हो सकी है। कृषि मंत्रालय के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है।
कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में गेहूं बुवाई पांच लाख हेक्टेयर पीछे चल रही है। पिछले साल अब तक 17.71 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हो चुकी थी, जो चालू सीजन में 12.50 लाख हेक्टेयर ही हो पाई है। छत्तीसगढ़ में 80 फीसदी और महाराष्ट्र में 35 फीसदी कम रकबे में बुवाई हुई है।