एक हफ्ते के भीतर ही पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के चेयरमैन सी बी भावे ने अपना वादा पूरा कर दिया और गुरुवार 15 जुलाई से शेयरों के डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था अपना ली गई है। सेबी ने एनएसई और बीएसई के इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट के मुख्य अधिकारियों के नाम भेजे गए सर्कुलर में यह सूचना दी है। अब स्टॉक एक्सचेजों को इसे लागू करने के व्यावहारिक इंतजाम करने हैं।
तय यह हुआ है कि स्टॉक ऑप्शंस और फ्यूचर्स में कैश सेटलमेंट की मौजूदा व्यवस्था के साथ-साथ फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था अपनाई जाएगी। साथ ही किसी स्टॉक के ऑप्शन में कैश सेटलमेंट और फ्यूचर में फिजिकल सेटलमेंट या फ्यूचर में कैश सेटलमेंट और ऑप्शन में फिजिकल सेटलमेंट हो सकता है। स्टॉक एक्सचेंज फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से लागू कर सकते हैं। लेकिन शुरुआत के छह महीने के भीतर सारे स्टॉक ऑप्शंस और फ्यूचर्स शुरू कर देने होंगे। सेटलमेंट की प्रणाली स्टॉक एक्सचेंज डिपॉजिटरी संस्थाओं – एनएसडीएल और सीडीएसएल के साथ मिल-बैठकर तय करेंगे। लेकिन कैश और इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट के सेटलमेंट अभी की तरह अलग-अलग बने रहेंगे।
बता दें कि सेबी ने 6 मार्च 2010 को अपनी बोर्ड मीटिंग शेयरों के डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था लागू करने का सैद्धांतिक फैसला किया था। भावे ने उसी दिन एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया था कि स्टॉक एक्सचेंजों के साथ व्यापक बातचीत के बाद ही इसे लागू किया जाएगा। इसी 8 जुलाई को एनएसई के एक समारोह में सेबी चेयरमैन ने कहा था कि डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट एक महीने के भीतर लागू कर दिया जाएगा। लेकिन असल में यह काम एक हफ्ते के भीतर हो गया है।
शेयरों के डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट लाने का फैसला सेबी ने अपनी एक समिति की सिफारिश के आधार पर किया है। अभी तक इंडेक्स ही नहीं, शेयरों के डेरिवेटिव सौदों में भावों का अंतर नकद ले-देकर पूरा कर लिया जाता है। इसलिए हम महीने सेटलमेंट के दिन और उसके कुछ पहले तक बाजार पर भारी दबाव रहता है। अब शेयरों के डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट लागू होने से अतिशय सट्टेबाजी पर थोड़ी लगाम लग सकती है।