प्लेथिको फार्मास्यूटिकल्स जड़ी-बूटी पर आधारित फॉर्मूलेशन, पोषण से जुड़े उत्पाद और एलोपैथिक दवाएं बनाती है। जड़ी-बूटी व पोषण सेगमेंट में उसके प्रमुख ब्रांड हैं ट्राविसिल, माउंटेन हर्ब्स व कोच फॉर्मूला, जबकि एलोपैथिक दवाओं के उसके खास ब्रांड हैं थेरासिल और इफरटैब। लेकिन स्टॉक के लिहाज से इसमें सबसे खास बात यह लगती है कि प्रवर्तक इससे एकदम चिपके हुए हैं। उन्होंने कंपनी की 34.07 करोड़ रुपए की इक्विटी का 87.01 फीसदी अपने पास रख रखा है। एफआईआई के पास इसके 4.37 फीसदी और डीआईआई के पास 4.35 फीसदी शेयर हैं। इस तरह व्यावहारिक रूप से देखें तो इसके 4.27 फीसदी ही शेयर हैं जिनमें खुलकर ट्रेडिंग हो सकती है। इसके बावजूद कंपनी के व्यक्तिगत शेयरधारकों की संख्या 12,401 है तो आश्चर्य होता है। वैसे इसमें केवल तीन निवेशक ऐसे हैं जिनकी शेयर पूंजी एक लाख रुपए से ज्यादा है।
इक्विटी पूंजी की इस संरचना से दो चीजें हो सकती हैं। एक कम वोल्यूम और दूसरे जरा-सी हरकत पर ज्यादा उछाल। फिर भी प्लेथिको फार्मा के शेयरों में काम भर का कारोबार हो जाता है। जैसे, कल मंगलवार को बीएसई में इसके 7051 और एनएसई में 9380 शेयरों की ट्रेडिंग हुई है जिसमें डिलीवरी के लिए हुए सौदे क्रमशः 15.18 फीसदी और 20.82 फीसदी ही थे। बीएसई में इसमें पिछले दो हफ्तों का औसत कारोबार 16,326 शेयरों का रहा है। जाहिर है कि अभी बहुत से निवेशकों की दिलचस्पी इसमें नहीं है। जब भी यह दिलचस्पी बढ़ेगी तो यहां प्याले में तूफान जैसी स्थिति आ सकती है। एक और बात यह है कि या तो प्रवर्तकों को कंपनी में अपनी इक्विटी घटाकर 75 फीसदी पर लानी होगी जिसके लिए उन्हें इसका एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) लाना होगा या फिर कंपनी को ही डीलिस्ट करा देना होगा। ज्यादा संभावना इस बात की है कि वे इसका एफपीओ लाएंगे।
कंपनी की स्थापना शशिकांत पटेल ने 1963 में की थी। साठ के दशक में ही कंपनी का पहला मैन्यूफैक्चरिंग संयंत्र इंदौर (मध्य प्रदेश) में लगाया गया। साल 1991 से 2000 के दौरान वह जड़ी बूटी और पोषण से जुड़े फॉर्मूलेशन में उतर गई। 2001 से वह ओवर द काउंटर (ओटीसी) या बिना प्रेस्क्रिप्शन वाली दवाएं भी बेचने लगी। उसके उत्पाद भारत के अलावा श्रीलंका, पूर्व सोवियत संघ के देशों, मध्य-पूर्व, लैटिन अमेरिका के साथ ही अमेरिका व ब्रिटेन में भी उपलब्ध हैं। असल में अक्टूबर 2007 में उसने नैस्डैक में लिस्टेड कंपनी नैरोल इंक का अधिग्रहण किया जिससे वह अमेरिका के अलावा ब्रिटेन तक के बाजार तक पहुंच गई।
इधर कंपनी ने संयुक्त अरब अमीरात में दुबई के नजदीक 200 करोड़ रुपए की लागत से उत्पादन इकाई लगाई है, जिस पर उसे 50 साल तक कर-मुक्ति मिली रहेगी। इस इकाई में अगस्त 2010 से व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो चुका है। हो सकता है कि भविष्य में कंपनी अपना ज्यादातर उत्पादन वहीं से करने लगे। कंपनी का शेयर (बीएसई – 532739, एनएसई – PLETHICO) कल बीएसई में 380.70 रुपए पर बंद हुआ है। उसका ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 19.26 रुपए है। इस तरह उसका शेयर अभी 19.77 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू 210.96 रुपए है। तीन महीने पहले 6 सितंबर को नेटवर्थ स्टॉक ब्रोकिंग ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में खरीद की सिफारिश करते हुए इसके 568 रुपए तक जाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन तब वह 398 रुपए पर था, अब 380 रुपए पर है। वैसे, आप खुद ही देख सकते हैं कि कंपनी में दम है और यह लंबे निवेश का अच्छा अवसर पेश कर रही है।
हां, प्लेथिको फार्मा इस मायने में एक खास बात और है कि उसका वित्त वर्ष कैलेंडर वर्ष के हिसाब से ही चलता है। जनवरी-फरवरी में जब दूसरी कंपनियां तीसरी तिमाही के नतीजे घोषित कर रही होंगी, तब प्लेथिको फार्मा अपने सालाना नतीजे पेश कर देगी। 2009 में उसने 465.55 करोड़ रुपए की आय पर 107.05 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था और उसका शुद्ध लाभ मार्जिन 22.99 फीसदी था। देखिए, साल 2010 के अंतिम नतीजों में क्या होता है? वैसे सितंबर 2010 की तिमाही में उसकी आय 97.49 करोड़, शुद्ध लाभ 21.42 करोड़ और शुद्ध लाभ मार्जिन 21.97 फीसदी रहा है।