सत्ता मिलते ही खूब मलाई काटती हैं पार्टियां, बढ़ते हैं सदस्य और चंदा भी

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों का पहला दौर 55 सीटों पर मतदान के साथ खत्म हो चुका है। ग्रामीण इलाकों में औसतन 65 फीसदी और शहरी इलाकों में 55 फीसदी का रिकॉर्ड मतदान हुआ है। अभी छह और दौर के मतदान होने हैं। लेकिन पहले दौर में मतदाताओं के मूड से ऐसा आभास मिल रहा है कि प्रदेश में मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी सत्ता में आने जा रही है। 403 में से 202 के बहुमत में कुछ सीटें कम पड़ीं तो पार्टी कांग्रेस की करीब 25 सीटों का सहयोग ले सकती है। असली नतीजे तो 6 मार्च को मतगणना के बाद ही सामने आएंगे। लेकिन खुदा-न-खास्ता सपा सत्ता में आ गई तो सदस्यों की संख्या के साथ ही चंदे की रकम से उसका खजाना भर सकता है।

इस बात का अंदाजा हाल ही में सूचना अधिकार (आरटीआई) के तहत हासिल एक सूचना से लगाया जा सकता है। आरटीआई के अंतर्गत दाखिल आवेदन में आयकर विभाग से वित्त वर्ष 2005-06 से लेकर 2010-11 तक समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की तरफ से भरे गए इनकम टैक्स रिटर्न का ब्यौरा मांगा गया था। विभाग से मिली आधिकारिक जानकारी के मुताबिक जब 2005-06 में सपा सत्ता में थी तो उसे 40.33 करोड़ रुपए का चंदा मिला था, जबकि विपक्ष में बैठी बीएसपी को केवल 2.55 करोड़ रुपए का चंदा मिला था।

लेकिन 2010-11 में तस्वीर एकदम पलट गई। इस दौरान बीएसपी में थी तो उसे 71.38 करोड़ रुपए का चंदा मिला है, जबकि सपा को मात्र 2.76 करोड़ रुपए। यही नहीं, सत्ता में रहने या न रहने से राजनीतिक पार्टियों की सदस्य संख्या और उनसे मिलनेवाली रकम पर भी फर्क पड़ता है। 2010-11 में बीएसपी को सदस्यता शुल्क से 22.29 करोड़ रुपए मिले हैं, जबकि सपा को 1.72 करोड़ रुपए। लेकिन 2005-06 में सपा को सदस्यता शुल्क के रूप में 4.95 करोड़ रुपए मिले थे, जबकि बीएसपी को 3.55 करोड़ रुपए।

सपा ने अपना इनकम टैक्स रिटर्न 9 नवंबर 2011 को भरा था, जबकि बीएसपी ने 30 अगस्त 2011 को। चुनाव आयोग के नियमों के तहत राजनीतिक दलों को 20,000 रुपए से ज्यादा चंदा देनेवालों के नाम जाहिर करने होते हैं। सपा ने चार ऐसे दाताओं की सूची संलग्न की है। इनमें आईटीसी लिमिटेड (कोलकाता), जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट (नोएडा), इलेक्टोरल ट्रस्ट (मुंबई) और ऋषिराज कंस्ट्रक्शन (आगरा) शामिल हैं। इन चारों ने 2009-10 में सपा को कुल 1.94 करोड़ रुपए दिए थे। वहीं, बीएसपी का कहना है कि उसने 2010-11 में 20,000 रुपए से ज्यादा का कोई स्वैच्छिक सहयोग नहीं प्राप्त किया है। बीएसपी ने रिटर्न के साथ संलग्न पत्र में यह भी बताया कि उसके पास 141.79 करोड़ रुपए का कैश है, जबकि उसके दो बैंक खातों में 187.12 करोड़ रुपए जमा हैं।

अगर मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी सत्ता में आ गई तो सत्ता के दलाल बीएसपी के बजाय सपा का रुख कर लेंगे और चंदे की भरमार उसी पर होगी। लोग सत्ता का लाभ लेने के लिए सपा के सदस्य भी बनेंगे। दूसरी तरफ सत्ता से बाहर होते ही मायावती की पार्टी फिर से माया को तरसने लगेगी। लेकिन यह तो वैध कमाई का मामला है। सत्ता में रहें, या बाहर, हमारे नेताओं की अवैध कमाई का धंधा कभी मंदा नहीं पड़ता।

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