देश के सबसे ज्यादा गरीब 12 राज्यों में से किसी को भी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) में दिलचस्पी नहीं है। इस मिशन का संचालन केंद्र सरकार विश्व बैंक के साथ मिलकर कर रही है और इसके लिए विश्व बैंक ने 4600 करोड़ रुपए का उधार देने का करार किया है।
राज्यों के इस ठंड रवैये की जानकारी केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन ने शुक्रवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। उन्होंने बताया कि किसी भी राज्य ने राशि प्राप्त करने की शर्तों का पूरी तरह से पालन नहीं किया है। निर्दिष्ट शर्तों में एक स्वायत्त निकाय के तौर पर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की स्थापना, राज्य मिशन के निदेशक की नियुक्ति, राज्य व जिला स्तरों पर बहु-अनुशासनीय पेशेवर कर्मचारियों की नियुक्ति की योजना और मूल्यांकन व अनुमोदन के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय के सामने राज्य का दृष्टिकोण व कार्यान्वयन योजना प्रस्तुत करना शामिल हैं।
इस मिशन के लिए चुने गए गरीबतम राज्य हैं – बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तमिलनाडु। लेकिन इनमें से किसी ने भी न तो निर्दिष्ट शर्तों का पालन किया और न ही मिशन के तहत कोई रकम पाने में रुचि दिखाई है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन औपचारिक रूप से 3 जून, 2011 को शुरू किया गया है, जिसे दिल्ली और चंडीगढ़ छोड़कर देश के सभी जिलों में लागू किया जाना है।