केंद्र सरकार ने नवंबर 2008 से देश में जन औषधि मेडिकल स्टोर खोलने का अभियान चला रखा है। ये स्टोर मुख्यतया सरकारी अस्पतालों में खोले जाने हैं। लेकिन तीन साल तक इस योजना के तहत देश भर में कुल 111 स्टोर ही खोले जा सके हैं, जिनमें से सात काम नहीं कर रहे हैं। नोट करने की बात यह है कि इनमें से कोई भी स्टोर देश के तीन प्रमुख राज्यों – उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व बिहार में नहीं है। छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, और केरल के मरीजों को भी केंद्र सरकार की यह कृपा नहीं मिल पाई है।
इन स्टोरों को खोलने का जिम्मा रसायन व उर्वरक मंत्रालय के अधीन आनेवाले फार्मास्यूटिकल विभाग का है। कार्यक्रम के अंतर्गत शुरू में ऐसे हर जिले में कम से कम एक जन औषधि चिकित्सा मेडिकल स्टोर खोलने का लक्ष्य था, जहां राज्य सरकारें जमीन आवंटित करने के मामले में सहयोग व समर्थन देने और ऐसे स्टोर के प्रबंधन के लिए एजेंसी भी सुनिश्चित करने को तैयार होतीं।
रसायन व उर्वरक राज्यमंत्री श्रीकांत जेना ने राज्यसभा में जन औषधि मेडिकल स्टोरों की ताजा स्थिति की जानकारी दी। इन स्टोरों में मरीजों को किफायती कीमत पर जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराई जानी हैं। मंत्री महोदय का कहना है कि जिन राज्य सरकारों ने लोगों को अच्छे किस्म की दवाएं, किफायती दरों पर उपलब्ध करा दी हैं, सरकारी अस्पतालों के लिए जगह की सुविधा दे दी है और स्टोर के लिए एजेंसी की पहचान सुनिश्चित कर दी है, वहां काम सुचारू रूप से चलने लगा है क्योंकि अधिक स्टोर खोलना राज्य सरकारों के सहयोग व समर्थन पर ही निर्भर है।
कमाल की बात है कि 111 में से सबसे ज्यादा 53 जन औषधि मेडिकल स्टोर राजस्थान में खोले गए हैं। बाकी 58 स्टोरों में से 21 पंजाब व 14 उड़ीसा में हैं। हरियाणा व हिमाचल प्रदेश में चार-चार, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली व चंडीगढ़ में तीन-तीन, उत्तराखंड में दो और जम्मू-कश्मीर में एक जन औषधि मेडिकल स्टोर है। इनमें से आंध्र प्रदेश का एक, हरियाणा के दो व पंजाब के चार स्टोर बंद पड़े हुए हैं। इन 11 राज्यों व केंद्रशासित क्षेत्रों के अलावा देश में कहीं भी कोई भी जन औषधि मेडिकल स्टोर नहीं है।