प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) को शुरू हुए चार साल हो गए हैं और इस दौरान इसके तहत कुल महज 2955 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है। अब तक 1.36 लाख परियोजनाओं को मदद दी गई है और 13.16 लाख रोजगार के अवसर पैदा किए गए हैं।
बता दें कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम केन्द्रीय सेक्टर की एक योजना है जिसका संचालन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) मंत्रालय करता है। राज्य व संघशासित स्तर पर इस योजना को राज्य के खादी ग्राम उद्योग बोर्ड और जिला औद्योगिक केन्द्र के कार्यक्षेत्र में जरिये बैंकों को शामिल कर लागू किया जाता है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी इलाकों में नए स्वरोजगार उपक्रम, परियोजना या छोटे उद्योग लगाकर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना होता है।
खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के मुताबिक चार साल में निर्धारित यूनिटों में से 90 फीसदी का गठन कर दिया गया है। इस साल के लिए मार्जिन मनी आवंटन का 68 फीसदी हिस्सा पहले ही राज्यों को जारी किया जा चुका है। कई राज्यों से और ज्यादा मांग की जा रही है। उम्मीद है कि दोगुना से भी ज्यादा कोष आवंटन के साथ यह कार्यक्रम अगली पंचवर्षीय योजना तक जारी रहेगा।
इसका मकसद विभिन्न क्षेत्रों के पारंपरिक शिल्पकारों व कारीगरों के साथ ही शहरी बेरोजगार युवकों को अपने इलाके में स्वरोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर उपलब्ध कराना है। साथ ही देश के शहरी व ग्रामीण इलाकों के बेरोजगार युवकों और पारंपरिक कारीगरों के एक बड़े वर्ग को लगातार रोजगार मुहैया कराना है। सरकार मानती है कि इससे ग्रामीण युवाओं के शहरो की ओर पलायन पर रोक लगेगी और कारीगरों की आमदनी में बढोतरी होगी जिससे शहरी और ग्रामीण रोजगार की दर में वृद्धि होगी।