जन लोकपाल बिल पर सरकारी चाल, दूसरे सुझावों के साथ यह भी नत्थी

सरकार आखिरकार अण्णा हज़ारे के नेतृत्व में चल रहे भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन के आगे झुक गई लगती है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चिट्ठी के बाद टीम अण्णा के साथ सरकार की बातचीत की राह खुल गई। लेकिन सरकार यहां भी अपनी चालाकी से बाज नहीं आई है। वह जन लोकपाल विधेयक को भी संसद की स्थाई समिति को सौपने को तैयार है। लेकिन स्थाई समिति के लिए अन्य तमाम सुझावों की तरह यह भी एक सुझाव ही होगा।

प्रधानमंत्री ने इस पत्र में कहा है, “हमारी सरकार लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध करने को तैयार है कि वे औपचारिक तौर पर जन लोकपाल विधेयक को अन्य सभी चीजों के साथ समग्र विचार के लिए स्थाई समिति के सामने पेश कर दें। अगर आपको समय व गति को लेकर कोई चिंता है तो सरकार स्थाई समिति ने जल्दी करने को कह सकती है।”

यह पत्र भेजने से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकपाल विधेयक पर संसद की स्थायी समिति के प्रमुख अभिषेक मनु सिंघवी के साथ भी बैठक की। पत्र में बड़ा पेंच यह है कि मनमोहन सिंह ने जन लोकपाल विधेयक को अरुणा रॉय जैसी शख्सियतों की तरफ से पेश सुझावों के समकक्ष ही रखा है और अपने पत्र में ‘अन्य सभी चीजों’ में सरकारी लोकपाल बिल के साथ ऐसे तमाम सुझावों का जिक्र ही किया है। शायद टीम अण्णा को मनमोहन का इस तरह सब धान बाइस पसेरी तौलना रास न आए। लेकिन इस पत्र से दोनों पक्षों के बीच बातचीत तो शुरू ही हो गई।

मनमोहन सिंह ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से बात करने के बाद टीम अण्णा से बात करने के लिए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को नियुक्त किया। यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी प्रणब मुखर्जी को सोच समझ कर दी गई क्योंकि टीम अण्णा कपिल सिब्बल और पी चिदंबरम के रवैये से नाराज़ चल रही थी। वहीं कई मौकों पर प्रणव मुखर्जी कांग्रेस को संकट से उबार चुके हैं और उन्हें पार्टी के भीतर तारणहार कहा जाता है। वित्त मंत्री का सहयोग कानून मंत्री सलमान खुर्शीद कर रहे हैं।

टीम अन्ना की तरफ से प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल प्रणव मुखर्जी से बातचीत कर रहे हैं। इससे पहले अण्णा के सहयोगी अरविंद केजरीवाल और कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के बीच लंबी बातचीत हुई। कांग्रेस सांसज संदीप दीक्षित के सरकारी आवास पर लगभग पौने घंटे चली इस वार्ता के बाद कुछ बिंदुओं पर सहमति बनी और प्रधानमंत्री ने फिर अंतिम प्रयास करते हुए समझौते का रास्ता साफ करने की पहल की।

इस बीच सरकार ने लोकपाल विधेयक पर चर्चा के लिए बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बैठक का मकसद इस मुद्दे के समाधान का कोई रास्ता निकालना है। सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को बुधवार को दोपहर 3.30 बजे बैठक के लिए बुलाया गया है।

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